Getting your Trinity Audio player ready...
|
विवेक कुमार जैन
आगरा 30 सितंबर। आगरा में गरीबो को उनका आशियाना देने के लिए बने 127 करोड़ की लागत से 3640 मकान उदघाटन से पहले ही जर्जर हुए मकानों के हालत जब मीडिया में सुर्खियां बनी तो सिस्टम में खलबली मच गई,जांच के बाद रिपोर्ट आई तो भ्रष्टाचार और सिस्टम की खुली लूट भी जाहिर हो गई,अब कार्यवाही का लॉलीपॉप दिया जा रहा है
जी हां ताज नगरी आगरा में साल 2009 में बसपा सरकार ने बी एस यू पी (basic service for Urban poor housing scheme)के तहत डूडा ने 127 करोड़ की लागत से यमुना पार के नारायच क्षेत्र में 3640 मकानों का निर्माण आगरा विकास प्राधिकरण के माध्यम से कराया था, मकान बने लेकिन 12 साल गुजर जाने के बाद भी लोगों को गृह प्रवेश का अधिकार नहीं दिया गया, बड़ी संख्या में लोगों को आवंटन पत्र तो बांटे गए लेकिन घर में घुसने की इजाजत नहीं मिली, जिसके बाद समय की रफ्तार और आगरा विकास प्राधिकरण के भ्रष्टाचार के साथ-साथ कमीशन खोरी ने भ्रष्टाचार की बालू और कमीशन खोरी की ईंटों से मकानों को खड़ा तो कर दिया लेकिन गुणवत्ता का ख्याल रखना ही भूल गए, जिसके बाद अब यह मकान किसी खंडहर से कम नहीं है आलम यह है कि ना तो इन मकानों में खिड़कियां ही बची है और ना ही दरवाजे छतों के प्लास्टर तक झड़ चुके हैं और लेंटर की बीम तक दिखाई दे रही है, जो अपने आप में गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।
मीडिया तक जैसे ही इन खंडहर हो चुके मकानों की जानकारी मिली तो अधिकारी भी अपनी गर्दन फंसता देख जांच की बात कहने लगे जांच रिपोर्ट आने के बाद तो जैसे भूचाल ही आ गया हो,जांच रिपोर्ट में महज 320 मकानों को ही रहने लायक बताया गया है जबकि 3260 मकानों को कंडम बताया गया है,सूत्रों की माने तो रिपोर्ट में जो मरमत की बात कही गई है तो मरम्मत का खर्चा बहुत ज्यादा बताया गया है,इस लिहाज से टूटना ही विकल्प नज़र आता है,
मामले की जानकारी देते हुए आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजेन्द्र पैंसिया ने बताया कि रिपोर्ट में मकानों की हालत बताई गई है,जिसमे मरमत में काफी खर्चा होना है फिलहाल मरम्मत के लिए एस्टीमेट बनाया जा रहा है,उसके बाद तय होगा कि क्या किया जाएगा,साथ ही दोषियों को भी चिन्हित करने को रिपोर्ट बनाई जा रही है और जांच रिपोर्ट के बाद दोषियों पर कार्यवाही होना तय है
बहराल इस मामले पर क्या कार्यवाही होगी ये तो आने वाला वक़्त बताएगा लेकिन जिस तरह से 127 करोड़ में लूट खसोट हुई उसने सिस्टम में लिप्त भ्रष्टाचार को जरूर उजागर कर दिया है