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कोमल हैं, कमजोर नहीं। क्षीण नहीं, अबला नहीं।
त्याग व ममता की मूरत हैं, कभी देवी की प्रतिरूपा है,
शक्ति का ही नाम नारी है।
कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए कम संख्या में राष्ट्र सेविका समिति द्वारा शस्त्र पूजन व विजयादशमी उत्सव एस एस इंटरनेशनल स्कूल, खोड़ा में मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियो के द्वारा शस्त्र पूजन से किया गया। उसके बाद ध्वजारोहण, एकल गीत के पश्चात मुख्य वक्ता का उद्बोधन हुआ।
राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना भी 1936 में विजयादशमी के दिन ही वर्धा में हुई थी। इसकी प्रथम प्रमुख संचालिका श्रीमती लक्ष्मीबाई केळकर (मौसीजी) थीं। राष्ट्रसेविका समिति का ध्येयसूत्र है – “स्त्री राष्ट्र की आधारशिला है।”
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता हरनंदी महानगर संघचालक प्रदीप ने कहा कि विचारों में सशक्तता एवं व्यवहार में नम्रता ही शक्ति सम्पन्नता का परिचायक है। नारी विचारों एवं कर्म से पूर्ण रूपेण शक्ति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि, संस्कृति की अस्मिता को बनाये रखने के लिए सही गलत का फर्क जानना होगा और इसके लिए हमे संस्कृति की जड़ों से जुड़कर रहना जरूरी है। “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना को सदैव मन में रखकर संस्कृति को पोषित करना है। भारतीय संस्कृति हमेशा से ही वीरता की पूजा करती रही है, असत्य पर सत्य की विजय, अधर्म पर धर्म की विजय के कारण ही हम सभी विजयादशमी का पर्व मनाते हैं, हमारी भारतीय संस्कृति में शस्त्र पूजन का बहुत महत्व रहा है।
समाज को संगठित करने का यही कार्य अनुशासित संगठन के बल पर सम्पूर्ण देश मे राष्ट्र सेविका समिति द्वारा किया जा रहा है। इस अवसर पर अध्यक्षा पूनम मौर्या (एस एस इन्टरनेशनल स्कूल की प्राचार्या )की आशीर्वचन हुआ। इस अवसर पर गाजियाबाद की सह विभाग कार्यवाहिका दीप्ति, वैशाली महानगर कार्यवाहिका कविता, खोड़ा भाग की कार्यवहिका नीता, इंदिरापुरम भाग कार्यवाहिका अंजू सहित, खोड़ा भाग संघचालक रणवीर सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।