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विवेक कुमार जैन
आगरा,28 फरवरी। आगरा में रविवार को मोहब्बत की निशानी ताजमहल को बनवाने वाले मुगल बादशाह शाहजहां के 367वें सालाना उर्स पर उनकी असली कब्रगाह को खोला गया और ग़ुस्ल की रस्म अदा की गयी। सोमवार को उर्स के दूसरे दिन संदल की रस्म अदायगी की गई। इस रस्म में असल कब्रों को चंदन और केवड़े व इत्र के साथ लेप किया गया। फातिहा पढ़कर अमन चैन की दुआ मांगी गई। उर्स के तीसरे और अंतिम दिन मंगलवार को सद्भावना की सतरंगी चादरपोशी की जाएगी।
पर्यटकों की आमद से रविवार को ताजमहल का जर्रा-जर्रा खिल उठा था। 23 माह बाद 40 हजार से अधिक सैलानी ताजमहल पहुंचे तो मुख्य गुंबद तक जाने वाले रास्ते पर पैर रखने को जगह नहीं बची। पर्यटकों की उमड़ी भीड़ से व्यवस्थाएं तार-तार हो गईं। पार्क में पौधे टूट गए। सैलानियों को मुख्य गुंबद तक पहुंचने में दो घंटे लग गए। मार्च 2020 में कोरोना आने के बाद ताजमहल पर टूरिस्टों का आना बंद हो गया था। मुख्य मकबरे पर भी लंबी कतारें लगी रहीं थीं। अव्यवस्थाओं के कारण कई बार दोनों गेटों पर पर्यटकों में धक्कामुक्की भी हुई।
भीड़ को काबू करने में एएसआई, पर्यटन पुलिस और सीआईएसएफ के पसीने छूट गए। ताजमहल स्थित शाहजहां और मुमताज महल की असली कब्रों को उर्स के दौरान तीन दिन के लिए ही खोला जाता है। सबसे ज्यादा पर्यटक इन कब्रों को देखने के लिए ही पहुंचे। देर शाम तक यह सिलसिला चलता रहा था। सोमवार सुबह से ही ताजमहल पर भीड़ उमडऩे लगी। संदल की रस्म अदायगी को लेकर लोग उनकी कब्र में पहुंच गए थे। मंगलवार को ताजमहल पर लंगर और चादरपोशी की जाएगी। ताजमहल में प्रवेश नि:शुल्क होने के कारण यहां ताज को निहारने वालों की भीड़ अधिक हो गई थी। रविवार को करीब 6० हजार के करीब अकीदतमंदों ने ताजमहल का नि:शुल्क में दीदार किया था।