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विवेक कुमार जैन
आगरा: 2 मार्च
वैदिक सूत्रम चेयरमैन आध्यात्मिक हीलर एवम विश्वविख्यात ख्याति प्राप्त एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने 1 मार्च 2022 महाशिवरात्रि पर्व पर लखनऊ से प्रकाशित हिन्दी दैनिक “शहर की सुर्खियां” को स्वयं को प्राप्त दुर्लभ नेपाली गोल एकमुखी रुद्राक्ष के पौराणिक महत्व के सन्दर्भ में बताया था क्योंकि एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम को शिवकृपा से प्राप्त दुर्लभ नेपाली एकमुखी रुद्राक्ष के वास्तविक फ़ोटो सहित एकमुखी रुद्राक्ष का वह महत्वपूर्ण विश्लेषण महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर “शहर की सुर्खियां ” पर प्रकाशित हुआ था, महाशिवरात्रि पर दुर्लभ प्रजाति के रुद्राक्ष के विश्लेषण को प्रकाशित होने के बाद महाशिवरात्रि की रात्रि से सुबह तक बहुत से जिज्ञासुओं के प्रश्न उनके व्हाट्सएप पर एक मुखी रूद्राक्ष के सन्दर्भ में उनके व्यक्तिगत व्हाट्सएप पर आए, क्योंकि महाशिवरात्रि की एकमुखी रुद्राक्ष के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण विश्लेषण की खबर उन्होंने कुछ चुंनिन्दा शिष्यों और अपने व्यक्तिगत व्हाट्सएप द टाइम्स ऑफ एस्ट्रोलॉजी व्हाट्सएप ग्रुप पर महाशिवरात्रि के महापर्व 1 मार्च 2022 की रात्रि को शेयर की थी, उस खबर को शेयर करने के बाद, कुछ चुंनिन्दा जिज्ञासुओं के प्रश्न उनके व्यक्तिगत व्हाट्सएप पर आए उन सभी जिज्ञासुओं के प्रश्न का जवाब हिन्दी दैनिक “शहर की सुर्खियां” को सार्वजनिक रूप से एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताते हुए कहा कि इस सम्पूर्ण संसार में दिव्य एक मुखी रूद्राक्ष को केवल वही व्यक्ति अपने पास रखने एवम धारण करने के लिए योग्य होता है, जो व्यक्ति काम, क्रोध, मोह, लोभ एवम अंहकार अर्थात अपने अंदर आंतरिक रूप से छिपे हुए उपरोक्त पांचों विकारों पर विजय प्राप्त करने की योग्यता एवम क्षमता देवयोग एवम देवकृपा से अपने पूर्वजन्म के दिव्य संस्कारों के कारण स्वतः ही जिस व्यक्ति को प्राप्त होती है, अर्थात इस संसार की भौतिक मायावी दुनिया में और माया में रहकर भी माया का गुलाम न बनने की रहस्यमयी दिव्य कला जिस व्यक्ति के पास देवकृपा से होती है वही व्यक्ति वास्तव में शिवजी का विशेष कृपा पात्र व्यक्ति इस भौतिक मायावी युग में बन पाता है। इस भौतिक मायावी संसार में करोड़ों शिवजी के अनन्य भक्त हैं लेकिन पांचों विकारों पर विजय प्राप्ति की क्षमता एवम योग्यता मात्र एक फीसदी व्यक्ति ही अपने पूर्वजन्म के संस्कारों के कारण देवयोग से एवम देवकृपा से इस पृथ्वी लोक पर कुछ चुनिंदा व्यक्ति ही प्राप्त कर पाते हैं।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि एकमुखी दिव्य मणि को धारण करने के सन्दर्भ में कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि इस दिव्य एक मुखी रुद्राक्ष के दर्शन भी शिवकृपा से उपरोक्त सकारात्मक विचारधाराओं को धारण करने वाले कुछ चुंनिन्दा व्यक्तियों को ही देवयोग से सम्पूर्ण शिवकृपा से प्राप्त होती है। क्योंकि उनका तीसरा नेत्र शिवजी की दिव्य कृपा से पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण इस जन्म भी स्वतः ही देवयोग से जाग्रत अवस्था में आया है, उनके अपने पूर्व जन्म के दिव्य संस्कारों के कारण, इस कारण देवयोग एवम शिवजी की सम्पूर्ण कृपा के कारण उन्हें कई दिव्य रहस्यमयी मणियों के दर्शन करने का सौभाग्य उन्हें अब तक के अपने जीवन काल में शिवजी की दिव्य कृपा से प्राप्त हुआ है। क्योंकि उनका जन्म सूर्य के उत्तरायण में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की गुप्त नवरात्रि की रहस्यमयी अवधि में 27 नक्षत्रों के सम्राट पुष्य नक्षत्र में रवि-पुष्यामृत योग में विशेष महासिद्ध योग में दिव्य कृपा से इस पृथ्वी लोक पर किसी विशेष पूर्व निर्धारित उद्देश्य को पूरा करने के लिए विधि के विधान के द्वारा शिवजी की कृपा से हुआ है क्योंकि एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम का जन्म जिस दिन हुआ था उससे कुछ मिनट पहले ही उनकी पूज्य माताजी को जो कि अब इस भौतिक मायावी दुनिया में नहीं हैं, उन्हें देवों के देव महादेव ने साक्षात दर्शन दिए थे और शिवजी के दर्शन के तुरंत बाद ही पंडित प्रमोद गौतम का रवि-पुष्यामृत के महासिद्ध काल की अवधि में इस पृथ्वी लोक पर जन्म हो गया, इस महत्वपूर्ण रहस्यमयी तथ्य को उनकी पूज्य माताजी योग-गुरु स्व श्रीमती दिनेश वती गौतम जो कि वैदिक सूत्रम रिसर्च संस्था की संस्थापिका हैं, उन्होंने बचपन में एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम को बताया था, आज उन्होंने अपने जन्म के इस रहस्यमयी तथ्य को सार्वजनिक रूप से इस महत्वपूर्ण सन्देश को “शहर की सुर्खियां” के माध्यम से व्यक्त किया है।