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विवेक कुमार जैन
आगरा 13 फरवरी।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन विश्वविख्यात ख्याति प्राप्त रहस्यमयी दिव्य शक्तियों युक्त एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है, इसके साथ-साथ उन्होंने अपने पूर्वजन्म से प्राप्त रहस्यमयी व्यक्तित्व के सन्दर्भ में गहराई से बताते हुए कहा कि उनका अदृश्य दिव्य प्रेम उन समर्पित महिला एवम पुरुष शिष्यों के अंदर मौजूद है, जो पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण मुझसे किसी न किसी रूप से मन से पूरी तरह निष्कपट भावनाओं से एक लंबे अरसे से मुझसे अब तक जुड़े हुए हैं, जो भी मुझसे पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण अब तक मन एवम समर्पित भावनाओं से मुझसे अब तक जुड़े हुए हैं, वह गहराई से इस सन्दर्भ में अकेले में शांत अवस्था में विचार मंथन करने की कोशिश अवश्य करें उन्हें वास्तव में ही एक दिव्य प्रेम का अनुभव अवश्य होगा।
दिव्य प्रेम का अर्थ ब्रह्माण्ड की असंख्य दैवीय शक्तियों से है जो कि उन समर्पित महिला एवम पुरुषों के अंदर एक लंबे अरसे से मौजूद हैं। अब शायद मुझसे जुड़े हुए उन समर्पित शिष्यों को याद आ गया होगा कि मैं किस दिव्य प्रेम के सन्दर्भ में जिक्र कर रहा हूँ क्योंकि मेरे अंदर दिव्य प्रेम की असंख्य दिव्य शक्तियां मौजूद हैं, इस पृथ्वी लोक की मायावी भौतिकतावादी प्रेम की कलाओं का में शौकीन भी नहीं हूँ पूर्व जन्म के दिव्य संस्कारों के कारण। मेरे अंदर पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण श्री कृष्ण की तरह 16 कलाएं मौजूद हैं, और उन्हीं 16 कलाओं को दिव्य अदृश्य प्रेम कहा जाता है, ये सभी कलाएं मेरे अंदर पूर्व जन्म के दैवीय संस्कारों के कारण हैं क्योंकि मेरा जन्म सूर्य के उत्तरायण काल में आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि काल में रवि पुष्यामृत के महासिद्ध योग में 12 वर्ष बाद पड़ने वाले पूर्ण कुंभ स्नान पर्व वाले वर्ष में हुआ है।
वैलेंटाइन डे क्या होता है ?
वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने 14 फरवरी को प्रतिवर्ष वेलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है इस सन्दर्भ में गहराई से बताते हुए कहा कि प्यार एक ऐसा शब्द है, जिसमें पूरी सृष्टि समाई हुई है। प्यार शब्द हमें विश्व के सभी धर्म ग्रंथों, सभी साहित्यों और सभी भाषाओं में देखने को मिलता है। नए साल की शुरुआत होते ही हर जवां दिल को एक खास दिन का बेसब्री से इंतजार होता है, जिसे हम वैलेंटाइन डे के नाम से जानते है। वैलेंटाइन डे हर साल 14 फरवरी को मनाया जाता है। यह खास दिन हर प्यार करने वाले शख्स के लिए अलग ही अहमियत रखता है।
एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि हालांकि वेलेंटाइन डे 14 फ़रवरी को मनाया जाता है, जबकि इसकी शुरुआत 7 फ़रवरी अर्थात ‘रोज डे’ से हो जाती है। वर्तमान समय में 7 फ़रवरी से लेकर 14 फ़रवरी तक पूरे वैलेंटाइन वीक में अलग-अलग दिन को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। रोज डे अर्थात 7 फरवरी को दो प्यार करनें वाले शख्स एक-दूसरे को गुलाब का फूल भेंट करते है और 8 फरवरी को प्रपोज डे के रूप में मनाया जाता है, इस दिन लोग अपने प्यार का इजहार करते हैं। 9 फरवरी को लवर्स एक-दूसरे को चॉकलेट देकर चॉकलेट डे के रूप में मनाते हैं। इसके बाद टेडी डे की बारी आती है, जिसमें टेडी बियर या इससे मिलते-जुलते सॉफ्ट टॉयज तोहफे में दिए जाते हैं। 11 फरवरी को प्रॉमिस डे के रूप में मनाया जाता है, जिसमें प्यार की कसमें खाई जाती हैं, और एक-दूसरे का जीवन भर साथ निभाने का वादा करते हैं। इसके बाद 12 फरवरी को हग डे, और इसके अगले दिन यानी 13 फरवरी को किस डे और सबसे अंत में 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता है।
वैलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है ?
वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनानें को लेकर अनेक मत है और इसके बारें में कोई सटीक जानकारी नहीं है। कहा जाता है कि लगभग 270 ईसवी में रोमन साम्राज्य के दौरान क्लाउडियस गोथिकस द्वितीय नामक राजा राज्य करता था। क्लॉडियस अपने सम्राज्य को विश्व शक्ति बनाना चाहता था और अपने सम्राज्य को विश्व शक्ति बनानें के उद्देश्य से क्लॉडियस नें एक अजीबोगरीब फरमान जारी कर दिया। क्लॉडियस का मानना था, कि विवाह करने से पुरुष की बौद्धिक और शारीरिक शक्ति समाप्त हो जाती है, अपनी इसी सोच की वजह से उसने पूरे राज्य में यह आदेश जारी कर दिया कि उसके राज्य में कोई भी सैनिक या अधिकारी शादी नहीं करेगा और उसके इस आदेश का पालन न करनें वाले को कड़ा से कड़ा दण्ड दिया जायेगा। क्लॉडियस के इस फरमान से पूरे रोम में हाहाकार मच गया सिपाहियों को यह मालूम था कि राजा के द्वारा लिया गया निर्णय गलत है परन्तु राजा के डर से किसी भी सिपाही की इस नियम का उलंघन करने की हिम्मत नहीं थी अंततः सिपाही मजबूर हो गए। रोम में वेलेंटाइन नामक एक संत थे, जिन्होंने क्लॉडियस का विरोध करते हुए लोगों को शादी करने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने राजा से छुपकर युवा सिपाहियों की शादियाँ करवाने लगे। लेकिन कहा गया है कि सच्चाई ज्यादा दिनों तक नहीं छुपती आख़िरकार एक दिन राजा को इस बात की जानकारी हुई और उन्होंने संत वेलेंटाइन को मौत की सजा सुना दी इस दौरान उन्हें बंदीगृह में डाल दिया गया।
संत वेलेंटाइन बंदीगृह में अपनी मृत्यु का इंतज़ार कर रहे थे कि अचानक एक दिन आस्ट्रियस नामक जेलर उनके पास आया क्योंकि रोम के लोगो का मानना था कि संत वेलेंटाइन के पास एक ऐसी दिव्य शक्ति थी, जिससे वह लोगों को किसी भी रोग से मुक्ति दिला सकते थे। आस्ट्रियस की एक बेटी थी जो पूर्ण रूप से अंधी थी, और इसलिए आस्ट्रियस, वेलेंटाइन के पास जाकर उनसे विनती करने लगे कि उनकी बेटी की आँखों की रोशनी को अपने दिव्य शक्ति से ठीक कर दे।
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि चूँकि संत वेलेंटाइन एक नेक दिल इन्सान थे, इसलिए उन्होंने जेलर की बेटी की आँखों को भी अपनी शक्ति से ठीक कर दिया। इस दौरान आस्ट्रियस की बेटी और वेलेंटाइन के बीच गहरी मित्रता हो गयी और यह प्यार में कब बदल गयी उन दोनों को पता ही नहीं चला। वेलेंटाइन की मौत खबर सुनकर आस्ट्रियस की बेटी को गहरा सदमा लगा और आखिरकार वह दिन (14 फ़रवरी) आ गया, जिस दिन वेलेंटाइन को फाँसी दी जानी थी।
वेलेंटाइन नें अपनी मौत से पहले जेलर से एक कलम और कागज माँगा और उसमें वेलेंटाइन ने जेलर की बेटी के लिए अलविदा सन्देश लिखा। पेज के लास्ट में उन्होंने “Your Valentine” लिखा था, यही वह लफ्ज़ हैं, जिसे आज भी लोग याद करते हैं। उस दिन 14 फरवरी का दिन था, और तभी से पूरी दुनिया में इस दिन को सभी प्यार करने वाले लोग वेलेंटाइन डे के नाम से मनाते हैं।