Getting your Trinity Audio player ready...
|
बीजिंग / नयी दिल्ली , वैश्विक विवादों के बीच चीन में बदलाव की बयार चलती दिखाई दे रही है. खासकर वहां के शीर्ष नेतृत्व में कुछ उठा-पटक होने की संभावना दिखाई दे रही है. हालांकि, राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर इसका कोई असर होता भी दिख रहा है ,पार्टी के नेतृत्व में भी जरूर कुछ बदलाव दिखाई दे सकते हैं. अब यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या नए नेता फैसला करने वाली शीर्ष संस्थाओं की जगह ले लेंगे और उन्हें दरकिनार कर देंगे. और क्या यह जल्द होगा?
द इकॉनोमिस्ट की खबर के मुताबिक, इस समय यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि क्योंकि चीन में सबकी नजरें देश की महत्वाकांक्षी पार्टी के अहम शख्स हू चुनहुआ पर टिकी हुई हैं. हू काफी संघर्ष करके पार्टी ने शीर्ष नेताओं में शुमार हुए हैं. इनकी कहानी का मुकाबला करना आसान नहीं. अपने माता-पिता की 6 संतानों में से एक, गरीबी में पला-बढ़ा यह शख्स आज काफी महत्वपूर्ण है. वह देश का पहला शख्स था जो चीन की प्रतिष्ठित पीकिंग यूनिवर्सिटी में पढ़ा. वह पार्टी में शामिल हुआ और तिब्बत में काम करने लगा ।
उस दौरान स्थानीय पार्टी के अध्यक्ष हू जिनताओ की नजर उस पर पड़ी. हू जिनताओ साल 2002 में चीन के शीर्ष नेताओं में शुमार थे. इसके बाद जल्द हू चुनहुआ सबसे युवा गवर्नर बनाए गए और वे पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य बने. पार्टी के लोग उन्हें ‘लिटिल हू’ कहकर बुलाते और साल 2022 में वह चीन के पसंदीदा नेता भी बन गए. अब करीब-करीब यह स्पष्ट है कि 69 साल के शी जिनपिंग तीसरी बार अगले पांच सालों के लिए पार्टी के सर्वोच्च नेता चुने जाएंगे. इसकी घोषणा पार्टी की अक्टूबर में होने वाली बैठक में हो जाएगी।
ऐसा होने से पार्टी के रिटायरमेंट के नियम टूट जाएंगे. साथ ही, जिनपिंग देश के सर्वोच्च पद पर कायम रहेंगे. हो सकता है वह एक दशक या उससे ज्यादा तक देश के राष्ट्रपति रहें. इसके बावजूद 59 साल के हू चुनहुआ पार्टी की पोलितब्यूरो स्टेंडिंग कमिटि मे शामिल हो सकते हैं. यह पार्टी की सर्वोच्च नेतृत्व कमिटि है और अब इसमें 7 सदस्य हैं. वह अपनी पार्टी की छठवीं पीढ़ी में पूर्व-प्रतिष्ठित नेता होंगे. उसका असर 25 सदस्यीय पोलितब्यूरो और 200 मजबूत केंद्रीय समतियों पर होगा.