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मेरे प्यारे देशवासियो, कल जन्माष्टमी का महापर्व भी है। जन्माष्टमी का ये पर्व यानी, भगवान श्री कृष्ण के जन्म का पर्व। हम भगवान के सब स्वरूपों से परिचित हैं, नटखट कन्हैया से ले करके विराट रूप धारण करने वाले कृष्ण तक, शास्त्र सामर्थ्य से ले करके शस्त्र सामर्थ्य वाले कृष्ण तक। कला हो, सौन्दर्य हो, माधुर्य हो, कहाँ-कहाँ कृष्ण है। लेकिन ये बातें मैं इसलिए कर रहा हूँ कि जन्माष्टमी से कुछ दिन पूर्व, मैं एक ऐसे दिलचस्प अनुभव से गुजरा हूँ तो मेरा मन करता है ये बातें मैं आपसे करूँ। आपको याद होगा, इस महीने की 20 तारीख को भगवान सोमनाथ मंदिर से जुड़े निर्माण कार्यों का लोकार्पण किया गया है। सोमनाथ मंदिर से 3-4 किलोमीटर दूरी पर ही भालका तीर्थ है, ये भालका तीर्थ वो है जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अपने अंतिम पल बिताये थे। एक प्रकार से इस लोक की उनकी लीलाओं का वहाँ समापन हुआ था। सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा उस सारे क्षेत्र में विकास के बहुत सारे काम चल रहे हैं। मैं भालका तीर्थ और वहाँ हो रहे कार्यों के बारे में सोच ही रहा था कि मेरी नज़र, एक सुन्दर सी Art-book पर पड़ी। यह किताब मेरे आवास के बाहर कोई मेरे लिए छोड़कर गया था। इसमें भगवान श्री कृष्ण के अनेकों रूप, अनेकों भव्य तस्वीरें थी। बड़ी मोहक तस्वीरें थी और बड़ी meaningful तस्वीरें थी। मैंने किताब के पन्ने पलटना शुरू किया, तो मेरी जिज्ञासा जरा और बढ़ गई। जब मैंने इस किताब और उन सारे चित्रों को देखा और उस पर मेरे लिए एक सन्देश लिखा और तो जो वो पढ़ा तो मेरा मन कर गया कि उनसे मैं मिलूँ। जो ये किताब मेरे घर के बाहर छोड़ के चले गए है मुझे उनको मिलना चाहिए। तो मेरी ऑफिस ने उनके साथ संपर्क किया। दूसरे ही दिन उनको मिलने के लिए बुलाया और मेरी जिज्ञासा इतनी थी art-book को देख कर के, श्री कृष्ण के अलग-अलग रूपों को देख करके। इसी जिज्ञासा में मेरी मुलाकात हुई जदुरानी दासी जी से। वे American है, जन्म America में हुआ, लालन-पालन America में हुआ, जदुरानी दासी जी ISKCON से जुड़ी हैं, हरे कृष्णा movement से जुड़ी हुई हैं और उनकी एक बहुत बड़ी विशेषता है भक्ति arts में वो निपुण है। आप जानते हैं अभी दो दिन बाद ही एक सितम्बर को ISKCON के संस्थापक श्रील प्रभुपाद स्वामी जी की 125वीं जयंती है। जदुरानी दासी जी इसी सिलसिले में भारत आई थीं। मेरे सामने बड़ा सवाल ये था कि जिनका जन्म अमेरिका में हुआ, जो भारतीय भावों से इतना दूर रहीं, वो आखिर कैसे भगवान श्रीकृष्ण के इतने मोहक चित्र बना लेती हैं। मेरी उनसे लंबी बात हुई थी लेकिन मैं आपको उसका कुछ हिस्सा सुनाना चाहता हूँ।