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जगतार सिंह,चंडीगढ़
राहुल गांधी द्वारा पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किए जाने के बावजूद सीएम चेहरे को लेकर छिड़ा घमासान अभी थमा नहीं है। चन्नी के नाम पर सिद्धू को शांत करने के लिए राहुल गांधी को 6 फरवरी की पार्टी की लुधियाना में वर्चुअल चुनावी रैली से पहले सिद्धू की कई शर्तें माननी पड़ी। राहुल द्वारा ये शर्ते माने जाने के बाद ही सिद्धू शांत हुए और उन्हांेने चन्नी के नाम पर सहमति दी। सबसे बड़ी शर्त यह थी कि सरकार बनने पर एक्साइज एंव माइनिंग जैसे अहम विभाग सिद्धू के पास रहेंगे ताकि व शराब व खनन माफिया पर बगैर किसी हस्तक्षेप के नकेल लगा सकें। पंजाब मॉडल में सिद्धू ने पंजाब से शराब,ट्रांसपोर्ट व रेत माफिया के सफाए पर जोर दिया है।
कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक रैली से पहले राहुल गांधी ने नवजोत सिद्धू से अकेले बंद कमरे मीटिंग की। सिद्धू ने राहुल को पंजाब के हालात समझाए। चुनाव में बहुमत दिलाने का भी दावा ठोका। जबकि राहुल गांधी ने सिद्धू को दलित पॉलीटिक्स और अमरिंदर सिंह के रहते हुए नुकसान की भरपाई के बारे में बताया। जिसमें अंत में यह तय हुआ कि पंजाब में माफिया सिद्धू ही खत्म करेंगे। इससे साफ है कि नई सरकार में उन्हें एक्साइज और माइनिंग का मंत्रालय मिलना तय है। इसमें मुख्यमंत्री का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। सिद्धू की भूमिका मंत्री या फिर डिप्टी सीएम की भी हो सकती है।
नवजोत सिद्धू लगातार पंजाब मॉडल पेश करते रहे हैं। माफियाराज खत्म करना सिद्धू का बड़ा एजेंडा है। इसमें सबसे अहम माइनिंग यानी रेत माफिया और शराब माफिया है। सिद्धू इसका ब्यौरा भी देते हुए कहते हैं कि लिकर कार्पोरेशन बनाकर शराब पर वैट लगाएंगे। इससे हम 25 हजार करोड़ रुपए कमा सकते हैं। तमिलनाडू इससे 37 हजार करोड़ कमाता है। प्राइवेट लाइसेंस देकर अभी हम सिर्फ 4 करोड़ कमाते हैं। चन्नी का सीएम चेहरा बनना और सिद्धू का दरकिनार हो जाना, इसके सियासी मायने भी बहुत हैं। पंजाब में कांग्रेस सिर्फ 111 दिन के काम पर चुनाव लड़ रही है। हालांकि कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर वह साढ़े 4 साल की जवाबदेही से नहीं बच सकते। ऐसे में कांग्रेस सत्ता में न आई तो इसका पूरा ठीकरा चरणजीत चन्नी के सिर ही फूटेगा। ऐसे में कांग्रेस ने पूरा चुनावी दांव चन्नी के इर्द-गिर्द खेल दिया है।
नवजोत सिद्धू को देखते हुए कांग्रेस ने 6 फरवरी को सीएम चेहरे के रुप में चन्नी के नाम का एलान 6 फरवरी को इसलिए किया कि नाराज सिद्धू चुनाव लड़ने से पीछे न हटें। पंजाब में नामांकन 1 फरवरी को खत्म हो गए थे। उसके बाद 4 फरवरी तक नामांकन वापसी की तारीख थी। कांग्रेस ने तब तक इंतजार किया ताकि अगर कोई विरोध होता है तो कहीं सिद्धू नाराज हाेकर अमृतसर पूर्वी सीट से अपना नामांकन वापस न ले लें।