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विवेक कुमार जैन
आगरा 3 नवम्बर ।भारतीय ज्योतिर्विदों व मनीषियों की दृष्टि से धन-वैभव-सुख व समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी श्री महालक्ष्मी के पूजनार्थ कार्तिक मास के कृष्पक्ष की अमावस्या को सायं काल व्यापिनी में दीप-दान करना तथा पूर्ण अर्ध रात्रि को महालक्ष्मी का पूजन करना धनवृद्धि, व्यवसायवृद्धि, यशकीर्ति व ऐश्वर्य प्रदायक व समृद्धि कारक होता है।
कालचक्र निरन्तर गतिशील है। पृथ्वी की परिभ्रमण व परिक्रमण गतियाँ पृथ्वी पर वार्षिक समय को निर्धारित करती हैं। अतः प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी मनुष्य को सुख-शान्ति व समृद्धि देने वाला य ह महत्वपूर्ण पर्व दीपावली दिनांक 4 नवम्बर सन् 2021 ई. दिन गुरुवार को पड़ रहा है।
ज्योतिषाचार्य पांडेय जयंत कुमार जैन के अनुसार समय के किसी भाग की अभिव्यक्ति वार, तिथि, नक्षत्र, योग व करण के माध्यम से होती है, जिसे पंचांग कहा जाता है। इस वर्ष दीपावली पर्व का द्योतक पंचांग उल्लिखित है।
इस वर्ष दिनांक 4 नवम्बर सन् 2021 ई. दिन गुरूवार को प्रात: 6.03 बजे से अमावस्या आरम्भ होकर दिनांक 5 नवम्बर सन् 2021 ई. दिन शुक्रवार को रात्रि 02.44 मिनट तक रहेगी। चित्रा नक्षत्र प्रातः 7 .41 बजे तक तदुपरान्त सम्पूर्ण अमावस्या काल में स्वाति नक्षत्र रहेगा, प्रीती योग प्रातः 11.09 बजे तक तथा चतुष्पद करण सायं 4-23 मिनट तक रहेगा।
श्री अकलंक ज्योतिष कार्यालय टूंडला के ज्योतिषाचार्य पाण्डेय जयन्त कुमार जैन ने बताया कि सौर मण्डल में संचालित ग्रह हमारे जीवन के प्रत्येक कार्य में ऋद्धि-सिद्धि व सफलतादायक होते हैं और विफलता व अशुभता के प्रदायक भी मुहूर्त के माध्यम से शुभ व अशुभ फल को पूर्व में ही ज्ञात कर हम हानि से बच सकते हैं तथा लाभ उठा सकते हैं। दीपावली महान पर्व के शुभ अवसर पर महालक्ष्मी/गणपति/इन्द्र-कुबेर पूजनोपरान्त खाता (बसना) आदि पूजन स्थिर लग्न/अभिजिन्मुहूर्त/शुभ ग्रह की होरा/शुभ व लाभ के चौघड़िया/प्रदोष बेला/महानिशीथ काल में सम्पन्न करने से समस्त कार्यों में सफलता मिलती है। आर्थिक व व्यावसायिक लाभ व उन्नति प्राप्त होगी। ज्योतिषीय परिप्रेक्ष्य में दीपावली के अवसर पर महालक्ष्मी आदि का पूजन आदि कृत्य स्थिर लग्न में सम्पन्न करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
द्वि-स्वभावी लग्न भी प्रायः मध्यम शुभ ही रहती हैं। इस दिन की प्रथम स्थिर लग्न वृश्चिक प्रातः 7.30 बजे से प्रात: 9.47 बजे तक रहेगी। इस लग्न में व्यवस्थित ग्रह स्थिति सामान्यतः मध्यम है।
पांडेय जयंत के अनुसार द्वितीय स्थिर लग्न कुम्भ मध्यान्ह 1.47 बजे से दोपहर 3.12 बजे तक प्रभावी रहेगी। इस कुम्भ लगन में ग्रहों की स्थिति भी सामान्यत: अनुकूल है। इस लग्नावधि काल में श्री महालक्ष्मी व श्री गणेश जी तथा खाता आदि का पूजन करना लाभकारी व समुन्नतकारी रहेगा।
तृतीय स्थिर लग्न वृष सायं 6.07 बजे से रात्रि 8.03 बजे तक सर्वाधिक उपयुक्त रहेगा। इन लग्नावधि में प्रदोष बेला भी प्राप्त होगी। यह प्रदोष बेला लग्न की शुद्धि को और बढ़ावेगी। इन दोनों के समन्वित काल में महालक्ष्मी, गणपति व खाता (बसना) आदि पूजन तथा नवीन व्यवसाय का शुभारम्भ अत्यधिक उन्नतिकारक तथा स्थायित्व के लिए श्रेष्ठ है। इस समय में लाभ व चंचल का चौघड़िया सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
मध्य रात्रि में स्थिर लग्न सिंह रात्रि 12.37 बजे से रात्रि 2.44 बजे मिनट तक रहेगी। अतः इस समय में महानिशीथ काल युक्त यह मुहूर्त समस्त कृत्यों के लिए ग्राह्य होगा। परम्परानुसार महानिशीथ काल में महालक्ष्मी-कुबेरादि पूजन, खाता पूजन आदि करने वालों के लिए व्यावसायिक उन्नति के लिए श्रेष्ठ
फलप्रद रहेगी। चौघड़िया मुहूर्त्त के अनुसार प्रात: 6.29 बजे से प्रात: 7.52 बजे के मध्य शुभ का चौघड़िया उत्तम फल प्रदायक रहेगा, साथ ही दोपहर 12 बजे से दोपहर 1.23 बजे के मध्य लाभ का चौघड़िया का मुहूर्त श्रेष्ठ व उत्तम फल प्रदान करने वाला ही रहेगा।
फोटो :ज्योतिषाचार्य पाण्डेय जयन्त कुमार जैन