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गोरखपुर, 4 सितम्बर
टॉफी बाबा। वनटांगिया बस्ती गोरखपुर के बच्चे करीब दो दशक से योगी आदित्यनाथ को इसी नाम से जानते हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनको इसी नाम से जानते हैं। यूं ही नहीं बच्चों में कोई टॉफी बाबा बन जाता है। इसकी वजह बच्चों के प्रति उनका निश्छल और नैसर्गिक प्रेम है। किसी भी अवसर पर उन्हें बच्चे मिल जाते हैं तो वह उन पर प्यार-दुलार लुटाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। शनिवार को सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज में बाढ़ पीड़ितों के बीच जब वह पहुंचे, तब भी यही नजारा दिखा। सीएम ने नौनिहालों को गोद में उठा लिया, प्यार-दुलार किया और उन्हें बिस्किट भी खिलाया। नौनिहालों को गोद में लिए सीएम अपनी दैहिक भाषा (बॉडी लैंग्वेज) से यह भी साफ संदेश दे रहे थे कि उनके रहते कोई भी दुख शेष नहीं रहेगा। यह सही भी तो है, पूर्वांचल के बच्चों को असमय काल कवलित करने वाली इंसेफेलाइटिस को काबू में करने की बात हो या फिर कोरोना में बेसहारा हुए बच्चों के भरण पोषण के लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना को लागू करने की, योगी ने एक से बढ़कर एक मिसाल कायम की है।
नौनिहालों के लिए इंसेफेलाइटिस को लेकर सांसद के रूप में उनका संघर्ष और सीएम बनने पर नियंत्रण की समग्र कार्ययोजना पूरा देश जानता है। कोरोना काल मे यूं तो उन्होंने पूरे प्रदेश को संकट से उबारा लेकिन इस दौरान बच्चों के लिए उनकी ‘मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ तो नजीर ही बन गई। इस योजना के जरिये उन्होंने कोविड से अनाथ हुए बच्चों के भरण पोषण, पढ़ाई और भविष्य निर्माण तक की जिम्मेदारी उठा ली है।
आज जब वह सिद्धार्थनगर जिले में बाढ़ पीड़ितों के बच्चों को गोद में उठाकर दुलार रहे थे तो एक बार फिर यही संदेश था कि नौनिहालों का वर्तमान और भविष्य, दोनों को सुव्यवस्थित करने के लिए उनकी प्रतिबद्धता है। इस दौरान उन्हें इन नौनिहालों के परिजनों को उनकी उचित देखभाल करने की नसीहत भी दी और कहा कि उनकी सरकार हर समय साथ में है इसलिए बाढ़ या अन्य किसी भी परिस्थिति में घबराने की जरूरत नहीं है।
पहले कोरोना और अब पूर्वी उत्तर प्रदेश में बाढ़ की विभीषिका पर नियंत्रण पाने के लिए ग्राउंड जीरो पर उतरे सूबे के रहबर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हर स्थिति पर पैनी नजर है। कौन किस स्थिति में है, इसकी भी उन्हें बराबर खबर है। शुक्रवार से ही वह पूर्वांचल के बाढ़ प्रभावित इलाकों में हैं। खुद अपने हाथों से राहत सामग्री का वितरण कर रहे हैं। जनता के बीच जाकर उनकी परेशानी जान रहे हैं, निदान के लिए अधिकारियों को हिदायत दे रहे हैं। खुद लोगों को सरकार की उन योजनाओं से रूबरू करा रहे हैं जिनका लाभ उठाकर वह आपदा में हुई हानि की भरपाई कर सकें। उन्होंने बाढ़ आने से पहले बचाव के कई ठोस इंतज़ाम किए, बाढ़ की स्थिति में वह लोगों के बीच प्रतिबद्ध भाव से मदद कर रहे हैं और साथ ही बाढ़ के बाद की स्थिति से निपटने को भी अभी से फुलप्रूफ तैयारी में जुट गए हैं। और हां, आपदा की इस घड़ी में ‘देश के भावी भविष्य’ के प्रति उनकी आत्मीयता, उनके सेहत की चिंता किसी को भी भाव विह्वल कर देने वाला है। जैसा कि वह बार बार प्रमाणित करते रहते हैं कि सही मायने में वह अनाथों के नाथ हैं, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे के दौरान भी उन्होंने इसकी नजीर पेश की। प्रोटोकाल के इतर बच्चों को गोद में लेकर दुलारना हो या फिर किसी बुजर्ग से उसके पास जाकर मिलना, योगी भीड़ से हटकर पहल करते दिखते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों के दौरे की शुरुआत सिद्धार्थनगर से की। जिले का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद वह डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के बाढ़ राहत शिविर में पहुंचे। यहां बाढ़ पीड़ितों के बीच खुद जाकर उनका हाल जाना, उन्हें अपने हाथों से राहत सामग्री दी और इत्मीनान से उनकी बातों को सुन भरोसा दिलाया कि उनके रहते किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है। परिवार के सदस्य की भांति वह उनके दुख दर्द को दूर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। यह सीएम योगी का निर्देश ही था कि बाढ़ प्रभावितों को कुर्सियों पर बैठाया गया था और मुख्यमंत्री खुद चलकर उनके पास पहुंच रहे थे। मुख्यमंत्री जब बाढ़ प्रभावित लोगों से मिल रहे थे तभी उनकी नजर अपनी माताओं व परिजनों की गोद में बैठे नौनिहालों पर पड़ गई। उन्होंने बच्चों को अपनी गोद में उठा लिया। उन्हें खूब दुलारा और अपने हाथों से बिस्किट खिलाया। यही नहीं सीएम योगी ने इन नौनिहालों के परिजनों को एक अभिभावक की तरह उनके स्वास्थ्य के लिए सजग भी किया।
मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता की यह तस्वीर डुमरियागंज के साथ ही सिद्धार्थनगर, महराजगंज और गोरखपुर के उन सभी बाढ़ राहत केंद्रों पर दिखी जहां भी वह बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच पहुंचे। सबकुछ दिल को छू लेने वाला।
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