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नयी दिल्ली , यूक्रेन और रूस के बीच चल रही बातचीत बेनतीजा रह सकती है , सूत्रों के मुताबिक दोनों ही देश बड़ी बड़ी शर्ते एक दूसरे के सामने रख रहे हैं, इससे बड़ा गतिरोध उत्त्पन्न हो गया है , उधर रूस ने यूरोपीय संगठन के एयर स्पेस पर रोक लगा दी है |
रूस ने 36 देश के लिए हवाई सीमा बंद कर दी है , बेला रूस में भी सैनिक गतिविधियां तेज हो गई है , अमेरिका ने अपने नागरिकों को बेलारूस और मास्को से निकल जाने के निर्देश दिए हैं , जिस तरह के हालात बन रहे हैं उससे ये दिखाई पड़ रहा है की अगले 48 घंटे में यदि रूस और यूक्रेन की वार्ता बेनतीजा होती है तो रूस कीव में भरी तभी मचा सकता है और गोलाबारी भी तेज हो सकती है |
विश्व के सभी देशों ने अपने दूतावासो को निर्देश जारी करके कहा है कि सभी अपने परिवारों को यूक्रेन से किसी अन्य देश में भेज देने के लिए कहा है , यूक्रेन के कीव शहर में अफरातफरी का माहौल बन गया है, सभी नागरिक कीव से निकलने के लिए इधर उधर भाग रहे हैं , भारत भी अपने सभी नागरिकों को निकलने के लिए पूरी ताकत लगा रहा है, भारत ने अपने 4 मंत्रियों को यूक्रेन के पास के देशों में भेज दिया है |
रूस की ओर से यूक्रेन में छेड़ी गई जंग दोनों ही देशों के लिए काफी भारी साबित हो रही है। जहां रूस ने अपने करीब 1 लाख 90 हजार सैनिकों को हथियारों, टैंकों और एयरक्राफ्ट्स के साथ यूक्रेन पर हमले के लिए भेजा है, वहीं यूक्रेन भी लगातार अपने सैनिकों और नागरिकों की मदद से रूस के मंसूबों को नाकाम करने की कोशिश में है। इस बीच दोनों देशों में युद्ध को लेकर अब तक कई आंकड़े साफ नहीं हो पाए हैं। मसलन इस युद्ध में अब तक कितनी जानें जा चुकी हैं। दोनों देशों को इस युद्ध से कितना आर्थिक नुकसान पहुंच रहा है और उसे सेना पर कितना खर्च करना पड़ रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए सैनिकों और आम नागरिकों को लेकर जहां यूक्रेन लगातार आंकड़े रख रहा है, वहीं रूस ने ये तो कबूला है कि उसके सैनिक भी यूक्रेन में मारे गए और घायल हुए हैं, लेकिन पुतिन सरकार की तरफ से मरने वाले सैनिकों का आंकड़ा स्पष्ट नहीं किया गया। इस बीच रूसी सैनिकों को लेकर भी यूक्रेन की तरफ से दावे किए गए हैं।
ऑपरेशन गंगा के तहत यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को बाहर निकालने की कोशिशें जारी हैं। भारत सरकार ने अपने सर्वोच्च मंत्रियों-अधिकारियों को जिम्मेदारी देकर छात्रों को जल्द से जल्द बाहर निकालने के लिए कहा है। लेकिन यूक्रेन में भारी संख्या में फंसे छात्रों को अचानक बाहर निकालना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है। छात्रों ने शिकायत की है कि उनके लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं रह गए हैं। उन्हें बॉर्डर पार करने में परेशानी आ रही है। उनके पास खाने-पीने के सामान तक खत्म हो गए हैं। कुछ छात्रों ने यूक्रेनी अधिकारियों द्वारा अपने साथ दुर्व्यवहार करने की भी शिकायतें की हैं। छात्रों ने जल्द से जल्द सरकार से उन्हें बाहर निकालने में मदद देने की मांग की हैं और इसके लिए दूतावास के अधिकारियों से अपील की है, लेकिन अभी तक उन्हें मदद का कोई आश्वासन नहीं मिला है।