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लखनऊ 10 मार्च ।
भाजपा ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर ली है और योगी आदित्यनाथ ने इतिहास रच दिया , भाजपा ने 274 सीट पर अपनी बढ़त बना ली है , समाजवादी पार्टी ने 124 सीट पर अपना कब्जा किया , सबसे बुरा हाल बसपा और कांग्रेस का रहा , कांग्रेस 2 सीट तो बसपा सिर्फ एक सीट तक सिमट कर रह गयी ।
योगी आदित्यनाथ ने इस जीत के बाद उत्तरप्रदेश की जनता को आभार व्यक्त किया और इस जीत का सेहरा भाजपा के समस्त कार्यकर्ताओं और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया , इस जीत के साथ योगी ने उत्तर प्रदेश के कई मिथक तोड़ने का काम किया , अपनी सरकार के कार्यों को बताते हुए योगी ने कहा ये सरकार उत्तर प्रदेश की जनता की जीत हैं , उन्होंने परिवारवाद और अपराध के खिलाफ दिया है , उत्तर प्रदेश ने 5 वर्षों में माताओं बेटिओं और बहनो को जो सुरक्षित माहौल दिया ये उसकी जीत है ।
तीन दशक से उत्तर प्रदेश के लिए यह मिथक बनता जा रहा था कि यहां कोई पार्टी लगातार दो बार सरकार नहीं बना पाती और नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की सरकार चली जाती है। बीते तीन विधानसभा चुनावों में हुए उलटफेर ने इस मिथक को और मजबूत किया। 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा का तख्त 2012 में सपा ने पलटा तो सपा की बहुमत वाली सरकार 2017 की मोदी लहर में ढेर हो गई।
सीएम योगी ने अपने एक ट्वीट गोरखपुर वासिओं को धन्यवाद् दिया और कहा : मेरे प्रिय गोरखपुर वासियों, आप सभी को प्रचंड विजय की हृदयतल से बधाई एवं शुभकामनाएं! आप सभी का अटूट विश्वास, अथाह समर्थन और असीम स्नेह मेरी ऊर्जा और प्रेरणा का अक्षय स्रोत है। अपनी ‘मत शक्ति’ से गोरखपुर की विकास यात्रा को अविराम रखने के लिए आप सभी का धन्यवाद!
CM योगी ने कहा उनकी सरकार ने कोविड संकट में गरीबों को दवा-राशन पहुंचाया है और उनका आशीर्वाद जनता ने प्रचंड बहुमत के रूप में उन्हें प्रदान किया है , जो नतीजों पर उसका सीधा असर नजर आ रहा है।
माना जा रहा है कि गरीब दलितों का जो वोट बसपा को प्रदेश में मजबूती देता रहा है, वह काफी-कुछ भाजपा की तरफ मुड़ा है। चुनौतीपूर्ण कहे जा रहे इस चुनाव में भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार वापस बनाने के प्रति आश्वस्त थी तो सपा मुखिया अखिलेश यादव को अपनी ताजपोशी का भरोसा था।
सुबह जब पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू हुई तब सपा और भाजपा में कांटे की टक्कर दिखाई पढ़ी किन्तु जैसे -जैसे ईवीएम की गिनती शुरू हुई वैसे वैसे समाजवादी पार्टी सीटों की गिनती में पिछड़ती चली गयी और लगभग एक घंटे में ही रेस से बाहर हो गयी ।
जहाँ आप आदमी पार्टी ने पंजाब में सीटों की सुनामी ला दी वही उत्तर प्रदेश में आप पार्टी के सपनो पर झाड़ू फिर गया और पुरे उत्तर प्रदेश में आप पार्टी के प्रत्याशी अपनी जमानत तक जब्त करते हुए नजर आये ।
कांग्रेस की उम्मीदों पर जहाँ पूरी तरह से पानी फिर गया वहीँ मायावती की बसपा का सूपड़ा साफ़ हो गया
विपक्षी दलों ने जो मुद्दा बनाया कि किसान नाराज और कोरोना काल में जनता कि बेकदरी हुई वह सारे मुद्दे हवा में ही गुम होते दिखाई पड़े । केंद्र सरकार द्वारा जो तीन कृषि कानून लागू किए गए, उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश में माहौल बनाने का भरसक प्रयास हुआ। हालांकि, चुनाव से ऐन पहले सरकार ने उन कानूनों को वापस भी ले लिया, लेकिन विपक्ष आश्वस्त था कि किसानों की नाराजगी भाजपा पर भारी पड़ेगी। इसी उम्मीद के साथ सपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढ़त के लिए किसानों की राजनीति का दावा करने वाले राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन किया। पिछले चुनाव में एकमात्र छपरौली सीट जीतने वाले रालोद को अखिलेश ने गठबंधन में 33 सीटों पर चुनाव लड़ाया। मगर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नतीजे बता रहे हैं कि आंदोलन का असर मात्र एक बिरादरी तक सिमटा रह गया। किसान हित की मोदी-योगी सरकार की योजनाओं की काट विपक्षी रणनीति नहीं निकाल पाई। किसानों ने भाजपा को भरपूर वोट दिया। बेसहारा पशुओं की समस्या जरूर थी, लेकिन गोवंश संरक्षण के प्रति सीएम योगी की नीयत-कवायद और दोबारा सरकार बनने पर इस समस्या से संपूर्ण निदान के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आश्वासन ने इस मुद्दे को भी बेअसर कर दिया। विभिन्न कारणों से बढ़ी महंगाई को विरोधी दल हथियार बनाना चाहते थे, लेकिन मुफ्त राशन, किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं का असर उससे अधिक रहा।
स्वामी प्रसाद मौर्या और धर्मसिंह सैनी जो भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी के लिए खेवनहार बनकर बढे जोश खरोश के साथ सपा में शामिल हुए लेकिन उन्हें भी करारी हार का सामना करना पड़ा और जनता ने सारे जातीय समीकरणों को धराशाही किया , एक बड़े उलटफेर में योगी सरकार के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या सिराथू सीट से अपना चुनाव हार गए , उन्हें सपा के चुनाव चिन्ह पर अपना दल कि पल्लवी पटेल ने हराया ।