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देश में अमृत काल प्रारम्भ हो चुका है और वर्ष 2047 में भारत अपनी स्वाधीनता के 100 वर्ष पूरे कर रहा होगा। उस समय तक भारत को विश्व के मानचित्र पर एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की प्रेरणा देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारतीय नागरिकों को दी है। अतः देश के पास अब केवल लगभग 24 वर्ष का समय ही शेष है, ऐसे में केंद्रीय वित्त मंत्री माननीय निर्मला सीतारमन द्वारा संसद में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए प्रस्तुत किया गया केंद्र सरकार का बजट भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की राह दिखा रहा है।
यह बजट दरअसल अमृत काल का प्रथम बजट होने के कारण इसे भारत में अमृत काल की मजबूत आधारशिला रखने वाला बजट भी कहा जा सकता है।भारत में आध्यात्मिक दृष्टि से ऋषियों, मुनियों एवं गुरुओं द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर सफलता हासिल करने के कई उदाहरण सुनाई देते रहे हैं। इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट को प्रस्तुत करते हुए माननीय वित्त मंत्री महोदया ने बताया कि उन्होंने भी सप्तऋषियों के रूप में, उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करने के उद्देश्य से, 7 प्राथमिकताएं तय की हैं। भारत में प्रकृति को सदैव ही देवता की रूप में पूजा जाता रहा है, इस दृष्टि से प्रथम प्राथमिकता तो यही तय की गई है कि प्रकृति को कम से कम नुक्सान पहुंचाते हुए देश का आर्थिक विकास किया जाये। अतः “ग्रीन ग्रोथ” की प्राथमिकता तय की गई है।
देश के युवाओं को देश की आर्थिक प्रगति में शामिल करने के उद्देश्य से “यूथ पावर” के रूप में दूसरी प्राथमिकता, देश की आर्थिक प्रगति को “इंक्लूसिव डेवलपमेंट” के रूप में हासिल करने के उद्देश्य से यह तीसरी प्राथमिकता, समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक आर्थिक प्रगति का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से “रीचिंग द लास्ट माइल” के रूप में चौथी प्राथमिकता, रोजगार के अधिक से अधिक नए अवसर निर्मित करने के उद्देश्य से “इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट” के रूप में पांचवीं प्राथमिकता, देश में पूर्व से ही उपस्थित अंतर्निहित शक्तियों (जिन्हें हम भूल गए हैं) का देश हित में उपयोग करने के उद्देश्य से “अनलीशिंग द पोटेंशियल” के रूप में छठी प्राथमिकता, एवं भारत के नागरिकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ले जाने के उद्देश्य से “लान्च ऑफ डिजिटल प्लेटफॉर्म” के रूप में सातवीं प्राथमिकता निर्धारित की गई है। अमृत काल के प्रारम्भ होने के साथ ही, उक्त प्राथमिकताओं के आधार पर, भारत में बहुत तेज गति से कार्य प्रारम्भ हो चुका है।केंद्र सरकार ने भारत के आधारभूत ढांचे को विकसित अवस्था में ले जाने के उद्देश्य से एक क्रांतिकारी कदम उठाया है।
केंद्र सरकार के पूंजीगत निवेश की राशि में 33 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए इसे वित्तीय वर्ष 2022-23 के 7.50 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 10 लाख करोड़ रुपए किया जा रहा है, जोकि देश के सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत होगा। इतनी भारी भरकम राशि यदि केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत ढांचे को विकसित करने के लिए खर्च की जा रही है तो इससे देश में रोजगार के करोड़ों नए अवसर निर्मित होंगे एवं देश में उत्पादों की मांग में भारी वृद्धि होगी तथा अंततः निजी क्षेत्र की कम्पनियों को भी अपने पूंजीगत निवेश को गति देने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। देश की आर्थिक प्रगति को बल देने के लिए यह एक क्रांतिकारी उपाय कहा जा सकता है।इसी प्रकार, भारत में आधारभूत संरचना को विकसित स्तर तक ले जाने के उद्देश्य से रेल बजट के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2.40 करोड़ रुपए की राशि निध् ार्रित की गई है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1.40 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित की गई थी। इस प्रकार इस मद पर अब नए वित्तीय वर्ष के दौरान लगभग दुगनी राशि खर्च की जाएगी।
रेलवे को विकसित अवस्था में लाने के लिए 75,000 करोड़ रुपए की लागत की कई नई योजनाएं भी प्रारम्भ की जाएंगी। साथ ही, देश में हवाई यातायात को और अधिक आसान बनाने के उद्देश्य से 50 अतिरिक्त नए एयरपोर्ट, हेलीपेड, वॉटर एयरोड्रम आदि बनाए जाएंगे। साथ ही, क्षेत्रीय हवाई संबद्धता को भी और अधिक मजबूत करने के प्रयास किए जाएंगे। वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट रक्षा क्षेत्र के लिए भी एक बड़ी सौगात लेकर आया है। केंद्रीय बजट में वर्ष 2023-24 के लिए रक्षा क्षेत्र को कुल 5.94 लाख करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है, जो कुल बजट की राशि का 8 प्रतिशत है। आज भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य को लेकर अपने कदम तेजी से आगे बढ़ा रहा है। बजट में आवंटित की गई इस राशि का उपयोग हथियारों की आत्मनिर्भर तकनीक और भारत में ही इन उत्पादों के निर्माण के कार्य पर किया जाएगा। इससे देश में ही रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित होंगे। वैसे, अब तो रक्षा क्षेत्र में उत्पादित उपकरणों एवं हथियारों आदि का भारत निर्यात भी करने लगा है। रक्षा के क्षेत्र को और अधिक मजबूती प्रदान करने से देश से इन उत्पादों के निर्यात को भी गति मिलेगी।
भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम क्षेत्र में उद्यमियों द्वारा रोजगार के करोड़ों अवसर निर्मित किया जा रहे हैं अतः इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सूक्ष्म, लघु और मध्यम क्षेत्र के उद्यमियों के लिए 2 लाख करोड़ रुपए की क्रेडिट गारंटी योजना लाई जा रही है। साथ ही, तीन करोड़ रुपये के टर्नओवर तक के सूक्ष्म उद्योग को करों में छूट दी जा रही है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को और अधिक बल देते हुए 3,400 सरकारी कानूनी प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर लाने का फैसला किया गया है। इससे देश में नए नए उद्योगों को स्थापित करने में अब और अधिक आसानी होगी। कृषि का क्षेत्र तो केंद्र सरकार के लिए प्रारम्भ से ही प्राथमिकता का क्षेत्र रहा है और किसानों की आय को दुगना किए जाने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं।
आज भी देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी गांवों में निवास करती है एवं अपनी आजीविका के लिए मुख्यतः कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर है। अतः वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में भी कृषि क्षेत्र के लिए विशेष ध्यान दिया गया है। कृषि क्षेत्र का डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है। कृषि क्षेत्र में पशुपालन, डेयरी पालन और मत्यस्य पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एवं अन्य कृषि कार्यों के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए की योजना है। मत्स्य उपयोजना में 6,000 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। कृ षि-स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड बनाया जाएगा। गोबरधन योजना के अंतर्गत 500 नए संयंत्रों की स्थापना की जाएगी एवं प्राकृतिक खेती के लिए 10 हजार बायो इनपुट रिसोर्स स्थापित किए जाएंगे। युवा किसानों की सहायता के लिए एक विशेष फंड का निर्माण किए जाने की भी योजना है।
भारत में लगातार यह प्रयास किए जा रहे हैं कि प्रत्येक नागरिक की रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविध् ाओं के रूप में, आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हो। इस दृष्टि से प्रारम्भ की गई प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए आवंटित की गई राशि को 66 प्रतिशत से बढ़ाकर 79,000 करोड़ रुपए किया जा रहा है। इससे भारतीय नागरिकों को आवास की सुविधा उपलब्ध कराने के महत्वपूर्ण कार्य को गति मिल सकेगी। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत खर्च की जा रही राशि को भी केंद्र सरकार का पूंजीगत निवेश ही कहा जाना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के खर्च से देश में आस्तियों का निर्माण ही तो हो रहा है एवं रोजगार के लाखों नए अवसर भी निर्मित हो रहे हैं।शिक्षा के क्षेत्र को भी अतिरिक्त महत्व प्रदान करने का प्रयास इस बजट में किया गया है। भारत में राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना के साथ-साथ मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में “मल्टी-डिसिप्लीनरी स्टडी” के लिए कोर्स मटेरियल की व्यवस्था भी केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। 740 एकलव्य मॉडल रेजीडेंशियल स्कूलों के लिए अगले तीन वर्षों के दौरान 38,000 नए शिक्षकों एवं सहायक स्टाफ की भर्ती की जाएगी। इस बजट में केंद्र सरकार द्वारा जनजातियों के लिए विशेष स्कूलों हेतु 15 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
सिविल सेवकों और सरकारी कर्मचारियों में कौशल विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ऑनलाइन ट्रेनिंग योजना भी प्रारम्भ की जाएगी।अंत में यह कहा जा सकता है कि भारत में अब नई तकनीकी को अपनाने के साथ ही हमारी सांस्कृतिक परम्परा पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है ताकि भारत को विश्व गुरु के रूप में पुनः स्थापित किया जा सके। नई तकनीकी को अपनाते हुए गरीबतम नागरिकों को भी विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुंचाने का भरपूर प्रयास हो रहा है। देश में स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत 11.7 करोड़ टायलेट का निर्माण किया गया है, उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 9.6 करोड़ गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं, जनध् ान योजना के अंतर्गत 47.8 करोड़ खाते बैंकों में खोले गए हैं, आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 50 करोड़ नागरिकों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं हैं, जल जीवन मिशन के अंतर्गत 11 करोड़ परिवारों को नल से जल उपलब्ध कराया गया है, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 3.5 लाख करोड़ रुपए की राशि का खर्च केंद्र सरकार द्वारा किया गया है, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के अंतर्गत 40 लाख पथमार्ग विक्रेताओं को ऋण उपलब्ध कराए गए हैं, मुद्रा योजना के अंतर्गत 70 प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को प्रदान किए गए हैं एवं गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले करोड़ों नागरिकों को गरीबी रेखा के ऊपर ले आया गया है। उक्त योजनाओं पर भी वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में खर्चों का प्रावधान जारी रखा गया है।
आम आदमी की उम्मीदों पर पूरी तरह खरा उतरा
सबसे लंबा बजट भाषण देने, परम्परा में बदलाव और पेपरलेस बजट जैसे कई रिकॉर्ड कायम करने के बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए एक फरवरी को अपना पांचवां आम बजट पेश किया। यह बजट मोदी सरकार का 11वां और केन्द्र सरकार के मौजूदा कार्यकाल का पांचवां बजट था। इस बजट पर पूरे देश की नजरें केन्द्रित थी क्योंकि आम आदमी को इस बजट से ढेर सारी उम्मीदें थीं। दरअसल माना जा रहा था कि इस वर्ष होने जा रहे कई विधानसभा चुनावों के साथ-साथ अगले वर्ष लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बजट में आम जनता के लिए राहतों का पिटारा खोला जाएगा और ये उम्मीदें बेकार भी नहीं गईं।
सरकार ने 45 लाख करोड़ रुपये के खर्च का जो बजट प्रस्तुत किया है, उसमें सरकार की पावतियां केवल 23. 3 लाख करोड़ रुपये की ही होंगी और इस भारी-भरकम घाटे को पूरा करने के लिए सरकार विनिवेश के जरिये करीब 51 हजार करोड़ रुपये की धनराशि जुटाएगी जबकि उसे 15 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा के बाजार से ऋण लेने पड़ेंगे। बाकी की कमी को लघु बचतों के जरिये पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। बजट के प्रावधानों को देखते हुए प्रतीत होता है कि सकल विकास वृद्धि में बढ़ोतरी के लिए करीब 10 लाख करोड़ रुपये की धनराशि पूंजीगत खाते से खर्च करके सरकार देशभर में रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ-साथ औद्योगिक उत्पादन को भी बढ़ावा देना चाहती है।
छोटे और मध्यम उद्योगों को शुल्क ढांचे में रियायतें प्रदान कर सरकार यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि अपने उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ यह क्षेत्र रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती में भी सहभागी बने।इस बार के केन्द्रीय बजट में विभिन्न क्षेत्रों को लेकर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण आम जनता को आयकर दरों में राहत दिया जाना है। दरअसल बहुत लंबे समय से आयकरों दरों में बदलाव की मांग की जा रही थी। नई कर व्यवस्था में आयकर सीमा में छूट को पांच लाख से बढ़ाकर सात लाख किए जाने से न केवल छोटे करदाताओं को बहुत बड़ी राहत मिलनी तय है, वहीं इससे मिशन 2024 मोड में जुटी भाजपा को सीधा फायदा मिलेगा। हालांकि पुरानी कर व्यवस्था भी लागू रहेगी जिसके तहत अभी भी 80सी, पीएफ, आवासीय कर्ज के मूलधन और ब्याज के भुगतान इत्यादि पर छूट हासिल की जा सकती है, जो नई कर व्यवस्था में नहीं मिलेगी लेकिन इस छूट के बगैर भी सात लाख तक की आय का करमुक्त होना करोड़ों करदाताओं को सीधे तौर पर लाभान्वित करेगा। इस वर्ष से इस नई कर व्यवस्था को डिफॉल्ट व्यवस्था बना दिया गया है।
दरअसल करदाताओं को पुरानी कर व्यवस्था से नई कर व्यवस्था को अपनाने के लिए प्रेरित करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती रही क्योंकि तमाम अपीलों के बावजूद अधिकांश लोगों ने इसे नहीं अपनाया था। बजट में महिलाओं और बुजुर्गों का भी खास ध्यान रखने का प्रयास किया गया है। वरिष्ठ नागरिकों की बचत सीमा को 15 लाख से बढ़ाकर 30 लाख रुपये करने, गैर सरकारी सेवानिवृत्त कर्मचारियों के अवकाश नकदीकरण पर मिलने वाली छूट को 3 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने की घोषणा, महिला सम्मान सेविंग सर्टिफिकेट की घोषणा इत्यादि सियासी दृष्टिकोण से भाजपा के प्रति सकारात्मक माहौल में वृद्धि करने में सहायक साबित हो सकती हैं। बजट में कई ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय हैं, जो स्पष्ट तौर पर इस बार के बजट में भाजपा सरकार की ओर से राजनीतिक संदेश देते प्रतीत होते हैं। देश के 80 करोड़ लोगों को जनवरी 2024 तक मुफ्त अनाज योजना भाजपा की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है, जो 2022 के विधानसभा चुनावों में भी उसके लिए कुछ राज्यों में गेमचेंजर साबित हो चुकी है और विरोधी भी मानते रहे हैं कि भाजपा को इस योजना का बड़ा सियासी लाभ मिलता रहा है। गरीबों के लिए चलाई जा रही इस योजना के अलावा आवास योजना, पेयजल योजना और आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना इत्यादि के आवंटन में बड़ी वृद्धि, आदिवासियों के लिए 15 हजार करोड़ की नई योजना, व्यक्तिगत करदाताओं के लिए नई कर व्यवस्था इत्यादि कई ऐसी घोषणाएं हैं, जो देश के निम्न और मध्यम आय के लोगों को भी आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। प्रधानममंत्री आवास योजना तो मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है, जिसके लिए 2022-23 के बजट में 48 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया था लेकिन इस बार के बजट में उसे 66 फीसदी बढ़ाकर सरकार ने इस योजना के लिए 79500 करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की है।
इस योजना के तहत 2024 तक करीब 2.94 करोड़ गरीब लोगों को घर मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है। वैसे सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2.94 करोड़ में से 2.12 करोड़ घरों का निर्माण पूरा हो चुका है और ये घर गरीबों को सौंपे भी जा चुके हैं।जनजातीय समूहों की सामाजिक -आर्थिक स्थिति सुधारने और उनके निवास स्थल को बुनियादी सुविधाओं से युक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह’ (पीएमपीवीटीजी) विकास मिशन की घोषणा करते हुए इसके लिए 15 हजार करोड़ रुपये का खाका पेश किया गया है। ऐसे में अनुसूचित जातियों-जनजातियों वाले मतदाता क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दिए जाने की झलक बजट में नजर आ रही है। आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत अभी तक देशभर में करीब साढ़े चार करोड़ गरीब लोग मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ उठा चुके हैं। इस योजना में आवंटन को पिछले साल के 6457 करोड़ रुपये के बजट से बढ़ाकर 7200 करोड़ कर दिया गया है। इस वित्त वर्ष में प्रध् ानमंत्री किसान सम्मान के लिए 60 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया जा चुका है और पीएम-किसान के तहत 11.4 करोड़ किसानों को अभी तक 2.2 लाख करोड़ रुपये का नकद हस्तांतरण भी किया जा चुका है। जल जीवन मिशन के लिए बजट को पिछले साल की तुलना में 60 हजार करोड़ से बढ़ाकर 70 हजार करोड़ रुपये किया गया है, जिसके तहत 2024 तक देश के सभी 20 करोड़ परिवारों तक पीने का साफ पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार के मुताबिक 2019 तक केवल तीन करोड़ परिवारों को ही पीने का साफ पानी उपलब्ध था लेकिन जल जीवन मिशन के तहत अभी तक करीब 11 हजार करोड़ परिवारों लोगों को पीने का साफ पानी मुहैया कराया जा चुका है।‘स्किल इंडिया मिशन’ के तहत बजट में डिजिटल प्लेटफार्म की घोषणा की गई है। डिजिटल प्लेटफार्म के जरिये उद्यम और रोजगार की ट्रेनिंग देने, नियोक्ताओं तक युवाओं की सीधी पहुंच बढ़ाने को लेकर इस प्लेटफार्म के जरिये होने वाला कार्य लाखों युवाओं के बीच भाजपा के प्रति समर्थन बढ़ाने में सहायक हो सकता है। देशभर में इस योजना के विस्तार की घोषणा के मद्देनजर डिजिटल प्लेटफार्म से बड़ी संख्या में युवा लाभान्वित हो सकते हैं। इसके अलावा डिजिटल लाइब्रेरी के साथ शिक्षकों की ट्रेनिंग की घोषणा भी सरकार के प्रति युवाओं में सकारात्मक माहौल बनाने में मददगार हो सकती है।
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के बजट में भी पिछले बजट 5943 करोड़ रुपये की तुलना में करीब तीन गुना बढ़ोतरी की गई है। आधारभूत ढांचागत क्षेत्र के विकास से लेकर प्रदूषण मुक्त ऊर्जा तथा ईंधन के क्षेत्र को खास वरीयता दी गई है। दरअसल सरकार का लक्ष्य इन क्षेत्रों में निवेश बढ़ाकर भविष्य की मुश्किलों को आसान करना और भावी पीढ़ी को सुरक्षित ऊर्जा स्रोत उपलब्ध कराना है। किसानों को अधि् ाक धन उपलब्ध कराने के लिए बजट में 20 लाख करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना घोषित करके सरकार ने कृषि क्षेत्र को विविधीकरण के जरिये ज्यादा आय अर्जित करने के लिए उद्यत किया है और किसानों की नई पीढ़ी को कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों को अपनाने के लिए भी प्रेरित किया है। हालांकि इस बार मनरेगा के बजट में बड़ी कटौती की गई है। मनरेगा के लिए पिछले बजट में 73 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे लेकिन इस साल यह घटाकर 60 हजार करोड़ कर दिया गया है। फिर भी कुल मिलाकर मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट पूरी तरह से चुनावी चाशनी में डूबा संतुलित बजट है, जिसमें आम आदमी की ज्यादातर जरूरतों का ध् यान रखने का प्रयास किया गया है और कहा जा सकता है कि यह चुनावी ही सही पर आम आदमी की उम्मीदों पर खरा उतरता बजट है।