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वाराणसी, (संवाददाता)। @sksbharat
वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में शनिवार को ज्ञानवापी मंदिर से जुड़े ज्योतिर्लिंग लॉर्ड आदि विश्वेश्वर के मामले की सुनवाई हुई।
वादी ने केंद्र व राज्य सरकार से भव्य मंदिर निर्माण और 1993 में कराई बैरिकेडिंग को हटाने की मांग उठाई है। हालांकि केस में अगली तारीख पांच सितंबर निर्धारित की गई है। इस तारीख पर साक्ष्य के अन्य पहलु भी तलब किए गए हैं।
शहर के बड़ी पियरी निवासी अधिवक्ता अनुष्का तिवारी व इंदु तिवारी ने ज्योतिर्लिंग लॉर्ड आदि विश्वेश्वर विराजमान की तरफ से अधिवक्ता शिव पूजन सिंह गौतम, शरद श्रीवास्तव और हिमांशु तिवारी के जरिए वाद दाखिल किया है। इसमें ज्ञानवापी स्थित आराजी संख्या को भगवान का मालिकाना हक घोषित करने, केंद्र व राज्य सरकार से भव्य मंदिर निर्माण में सहयोग करने और 1993 में कराई गई बैरिकेडिंग को हटाने की मांग की गई है।
पिछली तारीख पर वादिनी पक्ष की तरफ से अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के उस आवेदन पर आपत्ति जताई गई, जिसमें वाद के समर्थन में दिए गए साक्ष्यों की प्रति मांगी गई है।वादिनी पक्ष ने आपत्ति आवेदन में कहा कि जो भी साक्ष्य दिए गए हैं, वह सार्वजनिक व ऐतिहासिक हैं। इसे कमेटी खुद प्राप्त कर सकती है। यह मामले को विलंबित करने का प्रयास है। इसे खारिज किया जाना चाहिए। इस आवेदन पर अदालत अगली तारीख पर सुनवाई करेगी।
पुलिस आयुक्त, डीएम, केंद्र और यूपी के सचिव, अंजुमन इंतजामिया कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पक्षकर बनाया गया है। केंद्र सरकार की तरफ से अधिवक्ता सुनील रस्तोगी कोर्ट में हाजिर हुए थे। दूसरे पक्षकारों को भी हाजिर होने और पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजा गया है, जिस पर जवाब दाखिल किया गया है। अब पांच सितंबर को मामले पर सुनवाई को आगे बढ़ाने के अहम फैसले की संभावना है। ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे के बीच लोअर कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कई मुकदमे चल रहे हैं। इन्हीं मामलों में से एक मामला बैरिकेंडिंग हटाने का है। सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट आकाश वर्मा की अदालत में सुनवाई होगी। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि ज्ञानवापी के अंदर वुजूखाना वाली जगह पर जो आकृति मिली है, वह आदि विश्वेश्वर का सबसे पुराना शिवलिंग है। इसलिए, उनका नियमित पूजा-स्नान, शृंगार और राग- भोग जरूरी है।भगवान की पूजा सनातन धर्मियों का परम कर्तव्य है।