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विवेक कुमार जी
वृन्दावन ,7 दिसम्बर ।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने वृन्दावन केशव धाम बुर्जा स्थित अपने निवास पर बृज क्षेत्र की दैवीय यमुना नदी की दुर्दशा के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश से लेकर केंद्र तक भाजपा की ही सरकार है, लेकिन भगवा के इस स्वर्णिम काल में भी भगवान कृष्ण की पावन जन्मस्थली का गौरव प्राप्त मथुरा एवम वृन्दावन नगरी जस की तस है। जैसी माया और अखिलेश के राज में थी, वैसी ही आज भी है। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद जब यूपी में 2017 में योगी राज आया तो मथुरा एवम वृन्दावन के लोगों को उम्मीद बंधी की अब शायद मथुरा के दिन बहुरेंगे परंतु साढ़े चार वर्ष बीत जाने पर भी मथुरा की दयनीय दशा बरकरार है। बात चाहे साफ-सफाई की हो अथवा यातायात व्यवस्था की, अपराध की हो या व्यापार की। कहीं कुछ नहीं बदला।
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि कहने को मथुरा सहित उससे जुडे विभिन्न धार्मिक स्थलों का काया-कल्प करने के लिए अरबों रुपए की योजनाएं बनाई गई हैं, कुछ पर काम भी चल रहा है किंतु सच्चाई यह है कि ऐसी योजनाएं मायावती के शासन में रहते भी बनी थीं और अखिलेश राज में भी। अब योगीराज भी उसी लकीर पर काम कर रहा है परंतु धरातल पर हालात बदलते दिखाई नहीं दे रहे। हर योजना किसी न किसी वजह से अटकी पड़ी है।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बृज क्षेत्र की वर्तमान की यमुना की दुर्दशा के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि करोड़ों देशवासियों की आराध्य यमुना मैया तो निश्चित ही खून के आंसू रो रही हैं आजकल क्योंकि उसके साथ अनवरत छल किया जा रहा है। उसके साथ छल करने में कोई भी शासक पीछे नहीं रहा। यमुना जल हाथ में लेकर सौगंध खाने वाले और यमुना की पूजा करके चुनाव का पर्चा दाखिल करने वाले नेताओं ने यमुना को कहीं का नहीं छोड़ा। हरियाणा में हिंदूवादी सरकार बन जाने पर भी हथिनी कुंड से यमुना के लिए पानी उपलब्ध कराने का कोई रास्ता निकालना तो दूर, उसे लेकर चर्चा तक की आवश्यकता महसूस नहीं की जा रही।आगरा, मथुरा-वृंदावन के अधिकांश नाले सीधे यमुना में गिर रहे हैं नतीजतन यमुना का जल स्नान अथवा पान करने लायक तक नहीं है।
जीवन दायिनी और मोक्ष प्रदायिनी यमुना का प्रदूषित जल आज क्षेत्रीय नागरिकों के जीवन पर संकट का कारण बन चुका है। अनेक लोग यमुना के प्रदूषित जल की वजह से गंभीर बीमारियों का शिकार हो चुके हैं।
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि यह बात अलग है कि यमुना को ‘मां’ का दर्जा देने के कारण बहुत से लोग आज भी यमुना को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराते किंतु नेताओं को जिम्मेदार मानने से पूरी तरह इत्तेफाक रखते हैं।
सच भी यही है कि यमुना मैली हुई है तो नेताओं की कथनी और करनी में चले आ रहे भेद के कारण, न कि उसके अपने कारण। यमुना को गंदगी का पर्याय बना देने में नेताओं की वादाखिलाफी ने बड़ी भूमिका अदा की है।