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आप अक्सर ऐसी खबरें पढ़ते होंगे कि चीन भारत से सटे सीमाई इलाकों में अपनी तरफ बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है, नये गांव बसा रहा है, सड़कें और पुल बना रहा है ताकि जरूरत पड़ने पर उसकी सेना जल्द से जल्द सीमा तक पहुँच सके। लेकिन हम आपको बता दें कि भारत भी सीमाओं पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में जरा भी पीछे नहीं है। आंकड़े उठा कर देखेंगे तो पाएंगे कि हाल के वर्षों में सीमाओं को सुरक्षित बनाने के लिए विश्वभर में सर्वाधिक प्रयास भारत ने ही किये हैं।
कांग्रेस के जमाने में भले डर के मारे सीमाओं पर बुनियादी ढांचे को मजबूत नहीं किया गया हो लेकिन मोदी राज में माहौल पूरी तरह बदल गया है। सीमाएं अब पहले के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित भी हैं और सीमाओं पर बुनियादी ढांचा जिस तेजी के साथ मजबूत किया जा रहा है वह हमारे सुरक्षा बलों को तत्काल पलटवार करने की शक्ति प्रदान कर रहा है।भाजपा की छवि शहरी पार्टी की बनाई गयी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जरा भी शहरी नहीं हैं उनका दिल तो गांवों में बसता है खासकर उन गांवों में जो सीमाओं के एकदम नजदीक हैं। पिछले साल अक्टूबर में उत्तराखंड में चीन सीमा के नजदीक आखिरी गांव माणा में जब प्रधानमंत्री गये थे तब उन्होंने कहा था कि सीमाओं पर बसे गांव को आखिरी गांव नहीं पहला गांव कहा जाना चाहिए। इन गांवों में बनने वाले उत्पादों की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री पर्यटकों से भी आग्रह करते रहे हैं कि वह जब भी कहीं घूमने जायें तो स्थानीय स्तर पर बनने वाले उत्पादों को अवश्य खरीदें।
प्रधानमंत्री सीमा पर बसे गांवों के लोगों को देश का प्रहरी भी बताते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में भी पार्टी के लोगों का आह्वान किया था कि वह सीमाओं पर बसे गांवों में समय गुजारें। अब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश के सामरिक महत्व के उत्तरी सीमावर्ती इलाकों के विकास के लिए पूरी तरह केंद्र सरकार के खर्चे पर आधारित ‘‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’’ को मंजूरी प्रदान कर दी है जोकि सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत नहीं करेगा बल्कि सीमाओं पर स्थित भारत के पहले गांवों और ग्रामवासियों की तकदीर भी बदल देगा। हम आपको बता दें कि इस परियोजना पर 4800 करोड़ रुपये के खर्च का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा सरकार ने लद्दाख में शिंकुन ला सुरंग के निर्माण को मंजूरी प्रदान की है और भारत-चीन सीमा की सुरक्षा करने वाली भारत तिब्बत सीमा पुलिस की सात नयी बटालियन और एक क्षेत्रीय हेडक्वार्टर के गठन को भी मंजूरी प्रदान की है।सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस संबंध में संवाददाताओं को बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध् यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। उन्होंने बताया कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 के दौरान लागू किया जायेगा। इसके लिये 4800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जिसमें 2500 करोड़ रुपये सड़कों के निर्माण पर खर्च किए जाएंगे।
सरकार का यह कदम देश की उत्तरी सीमा के सामरिक महत्व को ध्यान में रखते हुए काफी महत्वपूर्ण है। इससे इन सीमावर्ती गांवों में सुनिश्चित आजीविका मुहैया करायी जा सकेगी जिससे पलायन रोकने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी। सरकारी बयान के अनुसार, इस कार्यक्रम से चार राज्यों एवं एक केंद्र शासित प्रदेश के 19 जिलों और 46 सीमावर्ती ब्लाकों में आजीविका के अवसर और आधारभूत ढांचे को मजबूती मिलेगी। इससे उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्र में समावेशी विकास सुनिश्वित हो सकेगा। इस कार्यक्रम से यहां रहने वाले लोगों के लिये गुणवत्तापूर्ण अवसर प्राप्त हो सकेंगे।
इसके अलावा इससे समावेशी विकास हासिल करने तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसंख्या को बनाए रखने में भी सहायता मिलेगी। इस कार्यक्रम के पहले चरण में 663 गांवों को शामिल किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य उत्तरी सीमा के सीमावर्ती गांवों में स्थानीय, प्राकृतिक और अन्य संसाधनों के आधार पर आर्थिक प्रेरकों की पहचान और विकास करना तथा सामाजिक उद्यमिता प्रोत्साहन, कौशल विकास तथा उद्यमिता के माध्यम से युवाओं व महिलाओं को सशक्त बनाना है। ‘‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’’ के तहत इन इलाकों में विकास केंद्र विकसित करने, स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान और विरासत को प्रोत्साहन देकर पर्यटन क्षमता को मजबूत बनाने और समुदाय आधारित संगठनों, सहकारिता, एनजीओ के माध्यम से “एक गांव एक उत्पाद” की अवधारणा पर स्थायी इको-एग्री बिजनेस के विकास पर ध्यान केंद्रीत किया जायेगा।
मोदी सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वाइब्रेंट विलेज कार्य योजना को ग्राम पंचायतों की सहायता से जिला प्रशासन द्वारा तैयार किया जाएगा। साथ ही इसके तहत केंद्रीय तथा राज्य योजनाओं की शत-प्रतिशत पूर्णता सुनिश्चित की जाएगी। इनके तहत सभी मौसमों के अनुकूल सड़क, पेयजल, 24 घंटे, सौर तथा पवन ऊर्जा पर केंद्रित विद्युत आपूर्ति, मोबाइल तथा इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केंद्र, बहुद्देशीय सेंटर तथा स्वास्थ्य एवं वेलनेस सेंटर के विकास पर जोर दिया जायेगा। इसमें कहा गया है कि यह सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम से अलग होगा।इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जो अन्य महत्वपूर्ण फैसला किया है वह यह है कि निमू-पदम- दरचा सड़क सम्पर्क पर 4.1 किलोमीटर लम्बी शिंकुन ला सुरंग के निर्माण को मंजूरी प्रदान की गयी है।
यह सुरंग सभी मौसमों में लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों के लिये सम्पर्क प्रदान करेगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि सुरंग के निर्माण का कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा हो जायेगा और इस पर 1681 करोड़ रूपये की लागत आयेगी। इस सुरंग की लम्बाई 4.1 किलोमीटर होगी और यह सभी मौसमों में लद्दाख के लिये सड़क सम्पर्क को सुगम बनायेगी। यह इस केंद्र शासित प्रदेश के सीमावर्ती इलाके तक जाने के लिए सबसे छोटा रास्ता होगा। यह परियोजना सुरक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है और इससे सुरक्षा बलों को इन इलाकों तक पहुंचने में सहूलियत होगी।साथ ही, चीन से चल रहे तनाव के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत-चीन सीमा की सुरक्षा करने वाली भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की सात नयी बटालियन और एक क्षेत्रीय हेडक्वार्टर के गठन को भी मंजूरी प्रदान की है। सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।