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विवेक कुमार जैन
आगरा 2 फरवरी ।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि 2 फरवरी 2022 से माघ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि पर्व काल आरम्भ हो गया है, जिसका समापन 10 फरवरी को होगा।
एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि इस भौतिक मायावी संसार में कुछ वस्तुएं गुप्त होती हैं तो कुछ प्रगट। शक्ति भी दो प्रकार की होती है। एक आंतरिक और दूसरी बाह्य। आंतरिक शक्ति का संबंध सीधे तौर पर व्यक्ति के चारित्रिक गुणों से होता है। हम वास्तव में क्या हैं, यह सिर्फ हम और हमारी आंतरिक चेतना ही जानती है। दूसरा रूप वह है जो सबके सामने है। हम जैसा दिखते हैं, जैसा करते हैं, जैसा सोचते हैं और जैसा व्यवहार में सभी को दिखते हैं। यह सर्वविदित और सर्वदृष्टिगत होता है। लेकिन हमारी आंतरिक शक्ति और रहस्मयी ऊर्जा के बारे में केवल हम ही जानते हैं। इस मायावी संसार में आंतरिक ऊर्जा या शक्ति दस रूपों में होती हैं। साधारण शब्दों में इनको धर्म, अर्थ, प्रबंधन, प्रशासन, मन, मस्तिष्क, आंतरिक शक्ति या स्वास्थ्य, योजना, काम और स्मरण के रूप में लिया जाता है। हमारे लोक व्यवहार में बहुत सी बातें गुप्त होती हैं और कुछ प्रगट करने वाली। यही शक्तियां समन्वित रूप से महाविद्या कही गई हैं। गुप्त नवरात्र दस महाविद्या की आराधना का पर्व काल है।
आमतौर पर नवरात्र को हम दो ही चरणों में मनाते और पूजते हैं। एक चैत्र और दूसरे आश्विन। लेकिन हिन्दू वर्ष में दो नवरात्र और होते हैं, एक आषाढ और दूसरा माघ मास में पड़ता है। नवरात्रि में जहां भगवती के नौ स्वरूपों की आराधना होती है, वहां, गुप्त नवरात्र में देवी की दस महाविद्या की आराधना होती है। गुप्त नवरात्र की आराधना का विशेष महत्व है और साधकों के लिए यह विशेष फलदायक होता है।