Getting your Trinity Audio player ready...
|
विवेक कुमार जैन
आगरा:14 मार्च।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन विश्वविख्यात ख्याति प्राप्त एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि संयोग से इस बार वर्ष 2022 में 14 मार्च को सोमवार के दिन पूरे बृज क्षेत्र एवम काशी में रंगभरी एकादशी का रंगोत्सव पर्व देवालयों में 27 नक्षत्रों के सम्राट दिव्य पुष्य नक्षत्र में सोम-पुष्यामृत योग में पड़ रहा है क्योंकि 14 मार्च को रात्रि 10 बजकर 8 मिनट तक पुष्य नक्षत्र का सोमवार के दिन संयोग रहेगा, इस तरह का दुर्लभ संयोग कई वर्षों बाद पड़ा है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की यह एकादशी रंगभरी के साथ ही आमल की एकादशी तिथि के नाम से भी जानी जाती है। यह एक मात्र ऐसी एकादशी है, जिसका संबंध पौराणिक काल से भगवान शिव से भी है।
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि रंगभरी एकादशी के दिन भगवान भोलेनाथ तथा माता पार्वती की काशी विश्वानाथ की नगरी वाराणसी में विशेष पूजा-अर्चना होती है। इस एकादशी पर भगवान श्री विष्णु के साथ-साथ भोलेनाथ और माता पार्वती का पूजन भी किया जाता है। इस वर्ष की रंगभरी एकादशी बहुत ही शुभ योग में आ रही है, कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि होली पर्व से पड़ने वाली रंगभरी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि और पुष्य नक्षत्र का विशेष योग बन रहा है।
पंडित प्रमोद गौतम ने रंगभरी एकादशी के महत्व के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि मान्यतानुसार रंगभरी एकादशी का दिन भगवान शिव की नगरी काशी के लिए विशेष होता है। इस दिन भगवान शिव माता गौरा और अपने गणों के साथ रंग-गुलाल से होली खेलते हैं। यह दिन भगवान शिव और माता गौरी के वैवाहिक जीवन में बड़ा महत्व रखता है। इस दिन काशी में बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार होता है और उनको दूल्हे के रूप में सजाते हैं। इसके बाद बाबा विश्वनाथ जी के साथ माता गौरा का गौना कराया जाता है।
वैदिक सूत्रम रिसर्च संस्था की प्रबंधक एवम वास्तुविद श्रीमती निधि शर्मा ने बताया कि होली पर्व से पहले होलिका-अष्टक के दौरान फाल्गुन शुक्ल पक्ष की रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव माता गौरा को विवाह के बाद पहली बार काशी लाए थे। इस उपलक्ष्य में भोलेनाथ के गणों ने रंग-गुलाल उड़ाते हुए खुशियां मनाई थी। तब से ही हर वर्ष रंगभरी एकादशी को काशी में बाबा विश्वनाथ रंग-गुलाल से होली खेलते हैं और माता गौरा का गौना कराया जाता है। इस दिन बाबा विश्वनाथ मां पार्वती के साथ नगर भ्रमण करते हैं और पूरा नगर लाल गुलाल से सरोबार हो जाता है।