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राहुल गाँधी की बेवजह यात्रा की वजह देश समझ नहीं पाया

136 दिनों के इस सफर में कांग्रेस को क्या हासिल हुआ

shaherkisurkhiyan@gmail.com by shaherkisurkhiyan@gmail.com
February 2, 2023
in Big Breaking, ओपिनियन
Reading Time: 1min read
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राहुल गाँधी की बेवजह यात्रा की वजह देश समझ नहीं पाया
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समापन हो चुका है। 136 दिनों तक चली इस यात्रा पर यदि नजर डालें तो यह अपने नाम के विपरीत नजर आई क्योंकि बात भारत जोड़ो की हो रही थी और इसमें ऐसे लोग शामिल रहे जो अलगाववादी और टुकड़े-टुकड़े वाली मानसिकता रखते हैं। इसके अलावा इस यात्रा के जरिये ना तो कांग्रेस एकजुट हो पाई ना ही विपक्ष। यात्रा के दौरान ही कई राज्यों में कांग्रेस नेताओं ने पार्टी छोड़ी और यात्रा के समापन पर विपक्ष की एकता का जो शक्ति प्रदर्शन किया जाना था उस उद्देश्य पर पानी नहीं फिरा बल्कि हिमपात सा साबित हो गया । 

यात्रा के समापन अवसर पर शामिल होने के लिए 21 राजनीतिक पार्टियों को कांग्रेस ने न्यौता भेजा था लेकिन सिर्फ 6 ही दलों से नेता आये। जिन दलों से नेता आये उनमें द्रमुक को छोड़कर नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग जनता की अदालत में पिटे हुए दल हैं। साथ ही इस यात्रा के दौरान जो लोग राहुल गांधी के सहभागी बने उनके नामों को देखें तो कहीं से नहीं लगता कि यह भारत जोड़ो यात्रा थी। हम आपको बता दें कि केरल में बीफ पार्टी करने वाले कांग्रेस नेता जहां यात्रा में शामिल हुए वहीं राहुल ने उन पादरी जॉर्ज पुनिया का भी आशीर्वाद लिया, जिन्होंने कहा था कि वे भारत की धरती को अपवित्र मानते हैं। तमिलनाडु में तमिल पृथकता के पक्षध् ार एसपी उदय कुमार राहुल गांधी के साथ चले तो टुकड़े टुकड़े गैंग के प्रमुख सदस्य कन्हैया कुमार इस यात्रा के प्रमुख किरदार रहे। देश के प्रमुख आंदोलनजीवी योगेंद्र यादव भी इस यात्रा में राहुल के साथ रहे। इसके अलावा मेध् ा पाटकर जैसी विकास विरोधी, 370 हटा तो कोई तिरंगा उठाने वाला नहीं होगा कहने वालीं महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला, नरेंद्र मोदी के घोर विरोधी रघुराम राजन, हर्ष मंदर और प्रशांत भूषण जैसे लोग इस यात्रा में शामिल हुए। तमिलनाडु की जनता की ओर से बुरी तरह नकारे गये कमल हासन यात्रा में शामिल भी हुए और उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर राहुल गांधी का साक्षात्कार लेकर खुद को और राहुल को विशेषज्ञ राजनीतिज्ञ साबित करने का असफल प्रयास भी किया।

यही नहीं यात्रा में ग्लैमर लाने के लिए पिटे हुए फिल्मी कलाकारों- स्वरा भास्कर, उर्मिला मातोंडकर, पूजा भट्ट, प्रकाश राज, रश्मि देसाई, रिया सेन, अक्षय शिम्पी, अमोल पालेकर, मोना अम्बेगांवकर, दिगांगना सूर्यवंशी, आकांक्षा पुरी, काम्या पंजाबी, निर्माता- ओनिर, गायक- टीएम कृष्णा, निर्देशक संध्या गोखले आदि की भी मदद ली गयी। इन नामों में अधिकांश ऐसे लोग हैं जो समय-समय पर विवादों से घिरे रहे हैं।राहुल गांधी ने यात्रा के दौरान नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने जैसा लोकप्रिय नारा तो दे दिया लेकिन यदि उनके पहले दिन से लेकर यात्रा के अंतिम दिन तक के भाषण पर गौर किया जाये तो सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ उनके मन की नफरत ही रोजाना नजर आई। इसके अलावा राहुल गांधी ने अर्थव्यवस्था और चीन से जुड़े मुद्दों पर सरकार को बिना तैयारी के घेर कर अपनी खिल्ली ही उड़वाई है। यात्रा के दौरान राहुल गांधी की तपस्वी के रूप में ब्रांडिंग करने की बहुत कोशिश की गयी लेकिन उसमें कांग्रेस पार्टी सफल नहीं हो पाई क्योंकि उनके ही कई नेता हिंदू और हिंदुत्व के खिलाफ अनर्गल बयान समय-समय पर देते रहे। यही नहीं कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने तो सर्जिकल और एयर स्ट्राइक के सबूत फिर से मांग कर राहुल गांधी को बैकफुट पर ला दिया।

राहुल गांधी ने टीशर्ट में ही रहने और जब तक ठंड नहीं लगेगी, तब तक जैकेट नहीं पहनने का जो संकल्प लिया था वह भी कश्मीर जाते ही टूट गया और पहले ही दिन रेनकोट और यात्रा के अंतिम दिन कश्मीरी फेरन पहन कर उन्होंने दर्शा दिया कि ठंड सबको लगती है।बहरहाल, भारत जोड़ो यात्रा संपन्न हो गयी है। यात्रा के दौरान कांग्रेस पार्टी को नया अध्यक्ष भी मिल गया है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में राहुल गांधी को पार्टी क्या भूमिका देती है। वैसे यात्रा के दौरान विभिन्न साक्षात्कारों के जरिये राहुल गांधी यह तो साफ कर ही चुके हैं कि यदि वह प्रधानमंत्री बने तो क्या-क्या करेंगे। देखना होगा कि उनकी महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए विपक्ष के अन्य दल क्या उनके नेतृत्व को गंभीरता से लेते हैं?

राहुल गांधी का राजनीतिक भविष्य इस बात पर भी निर्भर करेगा कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में कितनी सफलता अर्जित कर पाती है? वैसे राहुल इस यात्रा के जरिये अपनी पार्टी के संगठन को भले खड़ा ना कर पाये हों लेकिन इतना तो उन्होंने कर ही दिया है कि जो कांग्रेस पार्टी मीडिया की खबरों से एकदम गायब हो गयी थी उसे अब प्रमुखता मिलने लगी है। 136 दिन लंबी भारत जोड़ो यात्रा के समापन के अवसर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि उनकी यात्रा का मकसद भारत के उदार और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बचाना है। उन्होंने दावा किया कि देश के उदार और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को भाजपा और आरएसएस के हमले का सामना करना पड़ रहा है। श्रीनगर में भारी हिमपात के बीच एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मैंने यह यात्रा अपने लिए या कांग्रेस के लिए नहीं बल्कि देश के लोगों के लिए की है। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद उस विचारधारा के खिलाफ खड़ा होना है जो इस देश की नींव को ही नष्ट करना चाहती है।

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि भाजपा ने कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया लेकिन हम कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करवाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने इस क्षेत्र से किये गये वादों को पूरा नहीं किया। खडगे ने कहा कि राहुल गांधी की अगुवाई वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि देश में भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा फैलायी गई नफरत के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस और भाजपा देश में गरीब-अमीर की खाई को और चौड़ा बनाने की नीति अपना रहे हैं।उधर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि कन्याकुमारी से लेकर श्रीनगर तक यात्रा जहां-जहां गई, इस यात्रा को अभूतपूर्व जनसमर्थन मिला। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि इस देश में अभी एक जज्बा है- देश के संविधान के लिए और देश की धरती के लिए। प्रियंका ने रैली में कहा कि शुरुआत में उन्हें आशंका थी कि क्या लोग यात्रा में शामिल होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा भाई पिछले पांच महीने से कन्याकुमारी से पैदल चल रहा है। पहले मैंने भी यह सोचा था कि यह लंबी यात्रा है, पता नहीं, लोग बाहर निकलेंगे या नहीं। लेकिन वे हर जगह बाहर निकले। वे इसमें शामिल हुए क्योंकि देश के लोगों में एकता की भावना है।

प्रियंका ने कहा कि राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करते वक्त उनकी मां सोनिया गांधी को एक संदेश भेजा कि वह घर जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पूरे देश ने यात्रा का समर्थन किया। देश में जो राजनीति हो रही है, उससे देश को फायदा नहीं हो सकता। जो राजनीति विभाजित करती है वह देश को लाभ नहीं पहुंचा सकती। पदयात्रा करने वाले लोगों ने उम्मीद की एक किरण दिखायी है।’’जहां तक राहुल के संबोधन की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा और आरएसएस हिंसा भड़का कर देश के उदार एवं धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने उन पलों को याद किया जब उन्हें फोन पर उनकी दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी की हत्या की सूचना मिली थी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि हिंसा भड़काने वाले कभी भी उस दर्द को नहीं समझ पाएंगे। उन्होंने कहा, ष्जो लोग हिंसा भड़काते हैं- जैसे मोदीजी, अमित शाहजी, भाजपा और आरएसएस- वे इस दर्द को कभी नहीं समझेंगे। सेना के किसी जवान का परिवार यह समझेगा, पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों का परिवार यह समझेगा, कश्मीर के लोग समझेंगे कि वह दर्द क्या होता है।’’ राहुल गांध् ा ने कहा कि उनकी ‘‘यात्रा का मकसद अपने प्रियजनों की मौत की खबर देने वाले फोन कॉल को समाप्त करना है- चाहे वह कोई सैनिक हो, सीआरपीएफ का जवान हो या कोई कश्मीरी हो।कांग्रेस नेता ने भाजपा के शीर्ष नेताओं को उनकी तरह जम्मू-कश्मीर में यात्रा करने की चुनौती देते हुए कहा कि वे लोग कभी भी ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वे भयभीत हैं। उन्होंने कहा, ष्मैं आपको गारंटी दे सकता हूं कि भाजपा का कोई भी नेता जम्मू-कश्मीर में इस तरह पैदल नहीं चल सकता। वे ऐसा नहीं करेंगे, इसलिए नहीं कि उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी, बल्कि इसलिए कि वे भयभीत हैं।ष् राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें जम्मू-कश्मीर की धरती पर पैदल नहीं चलने की सलाह दी गई थी क्योंकि उन पर हमला हो सकता है। उन्होंने कहा, ष्मैंने इस पर विचार किया और फिर फैसला किया कि मैं अपने घर और अपने लोगों (जम्मू-कश्मीर में) के साथ चलूंगा। क्यों नहीं उन्हें (उनके दुश्मनों को) मेरी शर्ट का रंग बदलने का मौका दिया जाना चाहिए, उन्हें इसे लाल करने दें।

उन्होंने कहा, कश्मीर के लोगों ने मुझे हथगोले नहीं दिए, सिर्फ प्यार भरा दिल दिया।’’उधर, कांग्रेस ने अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के समापन के अवसर पर भारी हिमपात के बीच जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में एक रैली भी निकाली। शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम से शुरू हुई रैली का नेतृत्व कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने किया तथा इसमें द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रविड़), नेशनल कांफ्रेंस (नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। इस रैली के साथ ही करीब पांच महीनों में 12 राज्यों तथा दो केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का समापन हो गया। यह पदयात्रा पिछले साल सात सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी।

यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने 12 जनसभाओं, 100 से अधिक नुक्कड़ सभाओं, 13 संवाददाता सम्मेलनों को संबोधित किया। इससे पहले, राहुल गांध् ा ने पंथाचौक में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के शिविर स्थल पर राष्ट्र ध्वज फहराया। दूसरी ओर, ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान कड़ाके की ठंड में टी-शर्ट पहनकर पदयात्रा करके देशभर में बहस छेड़ने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कश्मीर की हाड़ कंपा देने वाली ठंड में ‘फेरन’ पहना। भारी हिमपात के बीच पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को सुबह अपनी ट्रेडमार्क सफेद रंग की टी-शर्ट पर बिना बाजू की जैकेट पहने हुए देखा गया। इसके बाद वह फेरन पहने नजर आए। उल्लेखनीय है कि फेरन पारंपरिक रूप से कश्मीरियों द्वारा पहने जाने वाला, गले से पैर तक लंबा परिधान होता है।

मौलाना आजाद रोड पर प्रदेश कांग्रेस समिति के मुख्यालय में एक कार्यक्रम में भाग लेने के तुरंत बाद राहुल गांधी को शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम जाते वक्त ग्रे रंग का फेरन पहने हुए देखा गया। राहुल गांधी की सफेद रंग की टी-शर्ट उस वक्त चर्चा में आयी थी जब यात्रा ने कड़ाके की ठंड में दिल्ली में प्रवेश किया था। उनके समर्थकों ने उनके संयम की तारीफ की थी जबकि विरोधियों ने आलोचना की थी। वहीं, राहुल गांधी ने कहा था कि उन्होंने मध्य प्रदेश में ‘‘फटे हुए कपड़ों में ठिठुरती’’ तीन लड़कियों से मिलने के बाद पदयात्रा के दौरान केवल टी-शर्ट पहनने का फैसला किया था। कांग्रेस नेता ने कहा था कि तभी उन्होंने फैसला कर लिया था कि वह तब तक स्वेटर नहीं पहनेंगे जब तक कि उन्हें ठिठुरन नहीं होती

 

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Tags: #BharatJodoYatra#Congress
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